फर्जी डिग्री पर शिक्षकों का बहाली मामला: पटना HC का आदेश, रिकॉर्ड पेश करने के लिए सरकार तय करे अवधि
पटना हाईकोर्ट में राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामले पर गुरुवार को सुनवाई हुई। रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक समय सीमा निर्धारित करे, जिसके तहत सभी संबंधित शिक्षक अपनी डिग्री व अन्य कागजात प्रस्तुत करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं। साथ ही वे वेतन उठा रहे हैं। इससे पूर्व कोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था, कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के अधीन शिक्षक हैं, उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना इस्तीफा दे दें। ऐसे करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी।
एक लाख से ज्यादा शिक्षकों के रिकॉर्ड मौजूद नहीं
26 अगस्त 2019 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में इस तरह के शिक्षक कार्यरत हैं और वेतन ले रहे हैं। कोर्ट ने मामले को निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा। निगरानी ब्यूरो को इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश दिया गया। 31 जनवरी 2020 को सुनवाई के दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार इनके संबंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है, लेकिन अब भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
एक हफ्ते बाद अगली सुनवाई
साथ ही ये भी पाया गया कि 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गए। कोर्ट ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया। कोर्ट ने संबंधित विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था। इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।