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बिहार में 2652 रुपये बढ़कर लोगों की सलाना कमाई 54 हजार, जानें आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में और क्या-क्या

कोरोना काल के बाद बिहार की आर्थिक गतिविधि ने रफ्तार पकड़ ली है और यहां की विकास दर देश से आगे निकल गयी है। पथ घनत्व के मामले में बिहार देश का तीसरा राज्य बन गया है। अब उससे आगे केवल देश के दो राज्य केरल और पश्चिम बंगाल हैं। बिहार के पथ घनत्व में तेजी से वृद्धि हुई है। प्रति 1000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में यहां 3167 किमी सड़कों का अनुपात है, जो देश में तीसरा सर्वाधिक है। केरल (6690 किमी) इस श्रेणी में टॉप पर, जबकि पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर है। पश्चिम बंगाल का पथ घनत्व 3198 किमी है जो बिहार से महज थोड़ा ही अधिक है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान राष्ट्रीय विकास दर 8.68 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि बिहार की विकास दर इस अवधि में 10.98 प्रतिशत रही। यह राष्ट्रीय विकास दर से 2.30 अधिक है। हालांकि यह आंध्रप्रदेश और राजस्थान के बाद तीसरे नम्बर पर है। आंध्र की विकास दर जहां 11.43 रही, वहीं राजस्थान 11.04 प्रतिशत विकास दर वाला राज्य है। राज्य में प्रति व्यक्ति आय में भी पिछले वर्ष की तुलना में करीब 6,400 रुपये की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2021-22 में वर्तमान मूल्य पर बिहार की प्रति व्यक्ति आय 54,383 रुपये हो गई है। वैसे, राष्ट्रीय औसत से यह अब भी काफी कम है। राष्ट्रीय औसत डेढ़ लाख का है।

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वर्ष 2022-23 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्तमंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जल्द हम पश्चिम बंगाल को पछाड़कर सड़क घनत्व की श्रेणी में देश में दूसरे स्थान पर आ जाएंगे। राज्य सरकार ने पथ व पुलों के निर्माण तथा रखरखाव पर 2015 से 22 के बीच 76,483 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इसी तरह भवनों के निर्माण पर 2012-13 की तुलना में 2022-23 में 9 गुना की वृद्धि हुई है। 2012-13 में 572 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जबकि 2022-23 में यह बढ़कर 4,961 करोड़ रुपये हो गए। कोविड के बाद बिहार की आधारभूत संरचना के क्षेत्र में 2021-22 के दौरान 20.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जो सर्वाधिक है।

महिला शिक्षा में बिहार नजीर बनकर उभरा

वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 16 वर्षों के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र के व्यय में राज्य में 11 गुना, जबकि शिक्षा के क्षेत्र में 8 गुना की वृद्धि हुई है। 2005-06 में बजट की 31.9 प्रतिशत राशि सामाजिक परिक्षेत्र में खर्च की जाती थी जो 2021-22 में बढ़कर 42.4 प्रतिशत हो गई। इसी तरह सामाजिक परिक्षेत्र में प्रति व्यक्ति व्यय पर नजर डालें तो 2005-06 में यह 801 रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर 6,156 रुपये हो गया। महिला शिक्षा में बिहार नजीर बनकर उभरा है। इसका साफ परिणाम यहां की प्रजनन दर पर दिख रहा है जो घटकर 2.9 फीसदी हो गई है। बिहार में 1.27 करोड़ परिवार जीविका से सीधे जुड़े हैं। सितम्बर 2022 तक 10.35 लाख स्वयं सहायता समूह बन चुके थे। इनमें 2.45 लाख स्वयं सहायता समूहों को बैंकों से सीधे जोड़ा गया था और उन्हें 5574 करोड़ रुपये का कर्ज मुहैया कराया गया।

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मनरेगा में दोगुनी संख्या में रोजगार मुहैया कराया

2017-18 की तुलना में 2021-22 में मनरेगा से दोगुनी संख्या में रोजगार मुहैया कराया गया। 22.5 लाख से बढ़कर यह 48 लाख पहुंच गया। मनरेगा से कराए जाने वाले कार्य पूर्ण कराने की दर में भी लगातार वृद्धि हुई है। 2017-18 में यह 1.10 लाख था जो 21-22 में बढ़कर 13 लाख पहुंच गया।

केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्रान्श 10 फीसदी घटा

केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में मिलने वाली हिस्सेदारी राज्य का संवैधानिक अधिकार है, परंतु इसमें लगातार कटौती हो रही है। केन्द्रांश लगातार कम किया जा रहा है और जो राशि तय भी होती है वह समय पर नहीं मिलती। स्थिति यह है कि सर्वशिक्षा अभियान, अतिपिछड़ा वर्गों के लिए छात्रवृत्ति समेत कई योजनाओं में बिहार को ही तात्कालिक रूप से अपनी राशि देनी होती है, तभी उसका लाभ मिल पाता है। केन्द्र ने इन योजनाओं के प्रावधान में 10 फीसदी तक की कटौती कर दी है।

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राज्य के हवाई परिवहन क्षेत्र में रिकॉर्ड 54.4 की वृद्धि

बिहार का वाहनों के निबंधन कराने में देश में तीसरा स्थान है। उत्तर प्रदेश पहले और महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। परिवहन विभाग ने इलेक्ट्रिक और सीएनजी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। बिहार में परिवहन क्षेत्र में 2021-22 के दौरान रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गई है। हवाई क्षेत्र में 54.4 प्रतिशत, परिवहन सेवा में 33.5 प्रतिशत और पथ परिवहन के क्षेत्र में 31.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

कई राज्यों से कम राजकोषीय घाटा

तमाम वित्तीय व्यवधानों के बावजूद राज्य का सकल राजकोषीय घाटा 2020-21 की तुलना में 1 प्रतिशत कम ही रहा। तब यह 4.8 प्रतिशत था, जो 2021-22 में 3.8 हो गया। 2022-23 में यह और घटकर 3.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडू, केरल में राजकोषीय घाटा बिहार से अधिक था।

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