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जलेबी दुकानदार से MLC बने सेठ ने कैसे बनाई अकूत संपत्ति? IT की कार्रवाई अभी चलेगी

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आरा स्टेशन के पास कभी जलेबी छानने वाले जदयू एमएलसी राधाचरण साह इतनी अकूत संपत्ति के मालिक बन गये हैं कि आज इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को एक साथ आरा समेत राज्य ही नहीं देश भर के कई ठिकानों पर छापेमारी करनी पड़ी है। मंगलवार की सुबह शुरू हुई छापेमारी देर रात तक चलती रही। आज बुधवार को भी छापेमारी जारी है। जरूरत पड़ने तक गुरुवार तक छापेमारी का दौर जारी रह सकता है। इस बीच 100 करोड़ के बेनामी लेनदेन के साथ भारी मात्रा में कैश, गहने और निवेश-जमीन के दस्तावेज मिलने की खबर है।

जानकारों का कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट 72 घंटे तक छापेमारी कर सकती है। अफसर वही रहेंगे, सुरक्षाकर्मी बदल सकते हैं। सवा दो सौ लोगों की छापेमारी टीम में 80 अफसर बताये जा रहे हैं। इनके सोने के लिए गद्दे-तकिये तक मंगाये गये हैं। सूत्रों के अनुसार छापेमारी में एकाउंट की स्थिति काफी खराब मिली है। रजिस्ट्री विभाग से जुटाये गये कागजातों का पूरा मिलान अब तक नहीं हो सका है। बालू से जुड़े कागजातों को भी खंगाला जा रहा है। बता दें कि अस्सी के दशक में साह परिवार बिहार मिल के पास पुराने मकान में रहता था और जलेबी के छोटे कारोबार से जुड़ा था। बाद में विभिन्न धंधों में शामिल रहते बालू के कारोबार से जुड़े।

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सोन नदी के बालू के लिए मशहूर भोजपुर में बालू का बड़ा सिंडिकेट भी बन गया। राधाचरण साह ने इस सिंडिकेट में आपनी जगह बना ली। कहा जा रहा है कि उनकी कमाई बालू का करोबार करते हुए इतनी ज्यादा बढ़ गई। आज साह परिवार होटल, रिसॉर्ट, फार्म हाउस समेत कई मकानों व भूखंड का मालिक है। आयकर विभाग की टीम ने विभिन्न स्रोतों से इनपुट जुटाकर छापेमारी की कार्रवाई शुरू की है। हालांकि साह व व उनके समर्थक इसे राजनीतिक साजिश बताते हैं। वे कहते हैं कि वे अकेले नहीं है, देश भर के राजनीतिक विरोधी ईडी के निशाने पर हैं।

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दूसरी बार एमएलसी चुने गये हैं राधाचरण साह

एमएलसी राधाचरण साह दूसरी बार एमएलसी चुने गये हैं। इस बार 2022 में वे जदयू समर्थित एनडीए उम्मीदवार थे। उन्होंने राजद समर्थित उम्मीदवार अनिल सम्राट को हराया था। वे पहली बार 2016 में आरा-बक्सर त्रिस्तरीय निकाय चुनाव क्षेत्र से राजद समर्थित उम्मीदवार के तौर पर एमएलसी चुने गये थे। तब उन्होंने हुलास पांडेय को हराया था और वे पहली बार विधान परिषद पहुंचने में कामयाब हुए थे।

हालांकि कार्यकाल पूरा होने के पूर्व ही राजद एमएलसी में टूट हुई और वे जदयू में शामिल हो गये थे। पूर्व में वे राजद के वरीय नेता व पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के निकटवर्ती रहे और सारण में प्रभुनाथ सिंह व उनके बेटे के चुनाव में जरूर जाते थे और अपने समाज का वोट ट्रांसफर कराने में अहम भूमिका निभाते थे।

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कौन हैं राधाचरण साह? 

भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के मूल निवासी राधा चरण साह का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। राजनीति में आने से पहले 1970 के दशक में राधाचरण साह आरा रेलवे स्टेशन के पास जलेबी की दुकान चलाया करते थे। जानकारी के मुताबिक राधाचरण साह ठीक से पढ़े लिखे भी नहीं हैं। वह अपना नाम एवं अन्य जानकारियां लिख लेते हैं। लेकिन, नोटों की गिनती राधाचरण साह बहुत अच्छे से कर लेते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जदयू एमएलसी किस्मत के सिकंदर हैं। उन्होंने जिस किसी धंधे में हाथ डाला उसमें काफी कमाई हुई। मिठाई दुकान से अच्छी कमाई के बाद सेठ ने जमीन और बालू में अपना किस्मत आजमाया तो करोड़ों में खेलने लगे। पर कमाई छुपाने की वजह से वह फंस गए।

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