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बिहार के इस ‘पाकिस्तान गांव’ का ग्रामीणों ने बदल दिया था नाम, फिर भी खत्म नहीं हो रही परेशानी

बिहार में ग्रामीण इलाकों के हालात बद से बदतर हैं, प्रदेश के विभिन्न ज़िलों के ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों के नाम पर सिर्फ खानापुर्ती हो रही है। बिहार के पूर्णिया जिले में एक गांव के लोगों को तो सिर्फ गांव के नाम की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान देश के नाम पर पूर्णिया के गांव का नाम होने की वजह से ग्रामीणों को आज भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान गांव (पूर्णिया, बिहार) के निवासियों का कहना है कि गांव सब लोगों ने मिलकर नाम भी बदल दिया लेकिन उनकी परेशानी खत्म नहीं हुई है। बच्चों की शादी गांव के नाम की वजह से नहीं हो रही है। हिंदुस्तान में रहने के बावजूद लोग पाकिस्तानी बुलाते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर गांव वालों को किस तरह की परेशानियां हो रही हैं। और उनकी परेशानियों का हल क्यों नहीं निकल पा रहा है। हिंदुस्तान में पाकिस्तान गांव पूर्णिया ज़िला मुख्यालय करीब 40 किलोमीटर दूर सिंघिया पंचायत (श्रीनगर प्रखंड) के वार्ड नंबर 4 स्थित टोले का नाम है।

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आजादी के वक्त रखा गया था नाम

500 लोगों की आबादी वाले इस टोले में सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोगों का ही बसेरा है। इस टोल के स्थानीय लोगों ने की मानें तो आजादी के जमाने में बंटवारे के वक्त गांव का नाम पाकिस्तान रख दिया गया था। आज़ादी के वक्त मुस्लिम समुदाय के लोग पाकिस्तान पलायन करने की वजह इस गांव का नाम पाकिस्तान रखा गया। ग्रामीणों ने मुस्लिम समुदाय के लोगों की याद को समर्पित करते हुए टोले का नाम पाकिस्तान रख दिया था।ग्रामीणों का कहना है कि टोले का नाम पाकिस्तान होने की वजह से दूसरे टोला और जिला के लोग यहां रिश्ता जोड़ने से डरते हैं। बच्चों के लिए लोग रिश्ता नहीं भेजते हैं, क्योंकि सभी लोग उन्हें पाकिस्तानी बुलाते हैं।

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टोले का नाम बदलने पर भी नहीं हुआ फायदा

ग्रामीणो नें अपनी समस्याओं का ज़िक्र करते हुए अभी तक यह टोला मूलभूल सरकारी सुविधाओं से वंचित है। बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल नहीं है। आवागमन के लिए सड़क नहीं है, बीमार पड़े तो इलाज के लिए दर दर भटकना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि पाकिस्तान नाम होने की वजह से सरकार भी इस टोले पर ध्यान नहीं दे रही है। ग्रामीणों ने कहा हम लोगों ने आपस में फैसला कर गांव का नाम भी बदल दिया, ताकि लोग पाकिस्तानी नहीं कहें, लेकिन इसके बावजूद परेशानियों का हल नहीं निकला।

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पाकिस्तान से बदल कर बिरसानगर रखा नाम

स्थानीय लोगों ने बताया कि उन लोगों ने पाकिस्तान से नाम बदलकर बिरसानगर रख लिया ताकि उन्हें पाकिस्तानी नाम की वजह से अनदेखा नहीं किया जाए। इसके बावजूद भी फायदा नहीं मिल रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकारी दस्तावेज़ों में आज भी इस टोले का नाम पाकिस्तान है। यहां के लोगों के पहचान पत्र पर पाकिस्तान टोला लिखा जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि हिंदुस्तान में रहने के बाद भी पाकिस्तानी की संज्ञा दी जाती है। सरकारी अधिकारी भी पाकिस्तानी जैसा ही बर्ताव करते हैं। यह वजह है कि गांव में विकास कार्य नहीं हो रहा है।

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