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पटना में बैठकर अमेरिका के लोगों से करोड़ों का फ्रॉड करने वाला इंजीनियर ठग, पटना पुलिस लेगी इंटरपोल की मदद

पटना में बैठकर अमेरिका के लोगों को ठगने वाले शातिर साइबर अपराधियों के गैंग का सरगना पिंटू सिंह इंजीनियर की पढ़ाई कर चुका है। जॉब की तलाश में वो कुछ साल दिल्ली में भी रह चुका है। जब इसे वहां जॉब नहीं मिली तो नोएडा के एक कॉल सेंटर नौकरी शुरू की। जॉब के दौरान ही साइबर क्राइम की ऐसी लत लगी कि नोएडा में ही अपनी गैंग बना ली।

पिंटू ने अपने साथ पढ़े लिखे और बढ़िया अंग्रेजी बोलने वाले कुछ लड़कों को जोड़ लिया। इसके बाद ही इसने ठगी के इंटरनेशनल क्राइम की शुरुआत की। साइबर क्राइम के जरिए अमेरिका के लोगों के साथ ठगी कर पिंटू सिंह करोड़ों रुपए की संपत्ति का मालिक बन गया। यह बात पटना पुलिस की जांच में सामने आई है।

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19 महीने से चल रहा है फरार

पटना के SSP मानवजीत सिंह ढिल्लो के अनुसार, पिछले साल जनवरी महीने में नोएडा पुलिस को पिंटू सिंह और उसके गैंग के बारे में पता चला। इस दौरान वहां कार्रवाई हुई। नोएडा पुलिस ने इस गैंग में काम करने वाले कुछ लड़कों को पकड़ा। फिर उनसे पूछताछ में पूरा मामला सामने आया। इसके बाद से वहां की पुलिस लगातार शातिर पिंटू सिंह की तलाश कर रही है। पिछले 19 महीनों से वो उनके हाथ नहीं लगा।

पटना में एक नहीं दो ग्रुप कर रहे थे काम

पटना में दीघा थाना की पुलिस ने 17 सितंबर को पश्चिम बंगाल के रहने वाले जिन तीन लड़कों को पकड़ा, उनसे पूछताछ में काफी सारी बातें सामने आई। SSP के अनुसार नोएडा से फरार होने के बाद पिंटू सिंह पटना आ गया। मनेर में अपने घर पर रहने लगा। नोएडा के तर्ज पर ही इसने यहां अंग्रेजी बोलने वाले तेज-तर्रार लड़कों की तलाश की। लेकिन, वैसे लड़के मिले नहीं।

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इसके बाद पश्चिम बंगाल के रहने वाले मो. दानिश अरशद, आमिर सिद्दकी और सब्बीर अहमद से कांटैक्ट किया। इन्हें पटना लाया गया। एक ग्रुप में ये तीनों काम कर रहे थे। बाद में इनसे दूसरा ग्रुप बनाया, इसमें बिहार के ही 4 लड़कों को रखा।

इन सभी को 35 हजार रुपए की तय सैलरी के साथ ही हर ठगी पर 2 डॉलर का इनसेंटिव दिया जाता था। पुलिस दूसरे ग्रुप के 4 लड़कों की भी पहचान कर चुकी है। इनकी गिरफ्तारी की कोशिश जारी है।

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EOU करेगी संपत्ति की जांच

पुलिस की जांच में पता चला है कि पिंटू सिंह पटना में पिछले एक साल से फर्जी कॉल सेंटर चला कर अमेरिका के लोगों को ठग रहा था। साइबर क्राइम के जरिए उसने बड़े स्तर पर संपत्ति अर्जित की है। जब पटना पुलिस की टीम ने मनेर स्थित उसके घर पर छापेमारी की थी तो वहां आलिशान तीन मंजिला घर बनाने का काम चल रहा था।

इसकी आर्थिक स्थित को देख पटना पुलिस ने संपत्ति की जांच के लिए आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को लिखा है। SSP ने बताया कि जांच के दरम्यान फरार पिंटू सिंह के कई और ठिकानों का पता चला है। जिसमें मुंबई भी शामिल है। अब वो सबसे अधिक वक्त मुंबई में गुजारता है। इसकी तलाश के लिए छापेमारी चल रही है।

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इंटरपोल की लेंगे मदद

इस पूरे मामले पर बिहार पुलिस के ADG (मुख्यालय) जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा कि जब किसी केस में इंटरनेशनल लेवल पर इंवेस्टिगेशन होती है तो उसकी एक प्रक्रिया है। इंटरपोल की मदद से केस में जांच के लिए मदद ली जाती है। अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए भी इंटरपोल ही काम में आते हैं।

यहां तक किसी डॉक्यूमेंट की जरूरत है तो वो लोकल कोर्ट के माध्यम से उसकी एक पूरी प्रक्रिया बनी हुई है। उसके तहत ही हम लोग कार्रवाई करेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस तरह से यह गैंग पटना में एक्टिव था, पुलिस ने उसका खुलासा कर दिया है।

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अमेरिका के लोगों को इस तरह से ठग रहे थे

रिंग सेंटर, स्काइप और टेक्स्ट नाउ जैसे एप्लिकेशन के जरिए शातिरों ने फर्जी डिटेल्स के साथ अपना अकाउंट बना रखा है। सारे अकाउंट डेनियल, थॉमस और फ्रैंक जैसे नामों पर खुले होते हैं। इसके बाद ठगी के लिए पोन और दूसरे नाम से बने वेबसाइट पर पॉप लिंक्स अपलोड करते हैं। जब कोई इन लिंक्स को क्लिक करता है तो फिर उसके सिस्टम पर Malware या Ransomeware डाउनलोड हो जाता है। इसके बाद उस शख्स का कंप्यूटर सिस्टम स्लो हो जाता है। इसी बीच रिंग सेंटर, स्काइप और टेक्स्ट नाउ के जरिए फर्जी नाम पर बनाए गए प्रोफाइल को बड़ी कंपनियों के कॉल सेंटर के नाम पर पुश किया जाता है। उसमें नाम कंपनियों का होता है, पर नंबर इन शातिरों के होते हैं।

जब इनसे अमेरिका के लोग मदद मांगते हैं तो ये शातिर ऑनलाइन कॉल करते हैं। इसके बाद उन से Any Desk नाम के एप्लीकेशन को डाउनलोड करवा लेते हैं। इसके बाद उनके सिस्टम का पूरा कंट्रोल इन शातिरों के पास होता है। फिर कंप्यूटर को ठीक कराने के नाम पर कई तरह के प्लान उनके सामने रखा जाता है। प्लान बेचने के दौरान ही ठगी होती है। रुपए को अमेरिका के बैंक अकाउंट में ही ट्रांसफर कराया जाता है। फिर वहां से रुपए इंडिया भेजे जाते थे।

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