सर्वे के सात साल बाद भी हसनपुर के माता सती स्थान को नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा
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समस्तीपुर/हसनपुर : हसनपुर प्रखंड स्थित माता सती स्थान शासन लोगों के लिए आस्था का पुंज व समाजिक एकता का केन्द्र है। सालों भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इसके बावजूद अब तक इसे दार्शनिक स्थल को पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल सका है। वर्ष 2016 में तत्कालीन विधायक राजकुमार राय ने पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने को लेकर विधानसभा में आवाज उठायी थी। जिसके आलोक में सर्वेक्षण भी किया गया। बावजूद अब तक पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने में जनप्रतिनिधि फेल है।
लोगों की नजर में धार्मिक दृष्टिकोण से माता सती स्थान का बहुत बड़ा महत्व है। वैसे तो हर रोज लोगों की भीड़ यहां पर बनी रहती है। लेकिन सप्ताह में सोमवार, बुधवार व शुक्रवार के दिन अन्य जिला से भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। हसनपुर चीनी मिल से दक्षिण पश्चिम दिशा में चन्द्रभागा नदी के दायें तट पर सती माता का मंदिर अवस्थित है। जहां पाकड़ वृक्ष के नीचे माता की पिंडी की पूजा अर्चना होती रहती है।
माता की पिंडी के नजदीक पाकड़ का एक विशाल वृक्ष है। जिस में आधा पतझर एक बार होता है। नव पल्लव आने के बाद फिर दूसरे हिस्से का पतझड़ होता है। चैत पूर्णिमा को उज्जैनी पूजा के रूप में मनाया जाता है। जिस में माता की पिंडी पर मिट्टी का लेप लगाया जाता है। मिट्टी गांव स्थित सती पोखर से लाया जाता है। कोई शुभ कार्य करने से पहले माता के मंदिर में लोग माथा टेकने आते हैं। लगभग पांच सौ वर्ष पुराने इस मंदिर में पूजा-अर्चना होती रहती है।
माता के दरबार में लोग झूठ बोलने से परहेज़ करते हैं। यही कारण है कि एक पर विवाद का निपटारा मैया के मंदिर परिसर में बैठ कर किया जाता है। लोगों में आस्था जगी है कि मैया के मंदिर में न्याय मिलती है। शासन गांव के अतुल शांडिल्य ने बताया कि माता में लोगों का आस्था, विश्वास अटूट है। हर रोज मां के दरबार में लोग मन्नतें मांगने आते है। लोगों की मन्नतें पूरी होती है।