होली मिशन स्कूल में विश्व अन्तर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
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समस्तीपुर :- शहर के मोहनपुर स्थित शिक्षण संस्थान होली मिशन हाई स्कूल में बच्चे-बच्चियों के उत्साहपूर्ण सहयोग से विद्यालय के विशाल सभा भवन में विद्यालय के निदेशक धर्मांश रंजन, प्राचार्य अमृत रंजन, संगीत एवं नृत्य प्रशिक्षक बादल कुमार, राहुल पाठक और सिसिर बनर्जी के द्वारा दीप प्रज्वलन कर विश्व अन्तर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस का आगाज किया गया।
संगीत और नृत्य का मानव जीवन में आवश्यकता और उसके प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में निदेशक धर्मांश रंजन ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संगीत एवं नृत्य मानव जीवन में महान भूमिका निभाती है, इससे हमारे जीवन का खालीपन भी समाप्त होता है साथ ही हमारे जीवन को शान्तपूर्ण बनाता है। संगीत को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा यह सुव्यवस्थित ध्वनि जो रस की सृष्टि से उत्पन्न होती है, संगीत कहलाती है। संगीत के मोहन – सुर की मादकता ये जगत के सभी जीव सजीव हो उठते हैं।
कार्यक्रम के समापन भाषण पर प्राचार्य अमृत रंजन ने संगीत पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि हमारी अन्तरात्मा की सरस अनुभूति जब ध्वनिमय होती है तो संगीत कला जन्म लेती है। इतिहास के साहित्यिक स्त्रोतों से स्पष्ट पता चलता है। चार वेद, छह वेदांग, एक सौ आठ उपनिषद, अठारह पुराण, रामायण, महाभारत, गुरु ग्रंथ साहिब एवं बौद्ध तथा जैन साहित्य हमारी प्राचीन सभ्यता संस्कृति का आईना है।
श्रमिकों द्वारा गाये जाने वाले श्रम गीत, आदिवासियों के गीत, फसलों की रक्षा करते समय हिल्लोरी गीत, पनघट पर ग्रामीण युवतियों के गीत, ग्वालों के गीत, भगवत भजन आदि संगीत का ऐसा प्रत्यक्ष प्रमाण है कि संगीत और हमारे जीवन का मेल फूल और खुशबू की तरह है, संगीत और खुशबू दोनो दिखाई नहीं देते हैं ऐसे महसूस किया जा सकता है। इससे स्पष्ट है कि संगीत जीवन को आनंदित ही नहीं करती बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से उसे स्फूर्ति प्रदान कर नवजीवन का संदेश वाहक भी है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि जीवन को सार्थक और सफल बनाने के लिए संगीत की किसी न किसी विद्या को अपनाएँ।