शराब मामले में लापरवाही भारी, बिहार के 91 थानेदारों ने गंवाई 10 साल के लिए थानेदारी
व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े
शराब से संबंधित कांडों के अनुसंधान, कार्रवाई और जांच में लापरवाही करना बिहार के कई जिलों के पुलिस अधिकारियों को भारी पड़ गया है। पुलिस मुख्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। शराब माफिया से संबंध और उसके अवैध कारोबार में संलिप्त पाए जाने वाले 91 पुलिस पदाधिकारियों की 10 साल के थानेदारी जा चुकी है। पुलिस मुख्यालय ने भालपुर सहित सभी जिलों को इसकी जानकारी दी है। उन दारोगा और इंस्पेक्टर की लिस्ट भी भेजी गई है, जिन्हें थानेदारी से वंचित किया गया है। मद्यनिषेध के आईजी ने इसको लेकर पत्र भेजा है।
साल 2016 में लागू हुई शराबबंदी के बाद से अब तक भागलपुर सहित सभी जिलों में पदस्थापित 91 दारोगा और इंस्पेक्टर को थानेदारी से वंचित किया जा चुका है। भागलपुर की बात करें तो इस जिले में पदस्थापित रहे एसआई दुर्गेश कुमार और इंस्पेक्टर विनय कुमार को थानेदारी से वंचित किया गया था। आस-पास के जिलों में बांका पुलिस जिला के श्रवण कुमार, नवगछिया में पदस्थापित रहे एसआई दिलीप कुमार और एसआई महेश कुमार, अररिया के एसआई अखिलेश्वर कुमार, मधेपुरा के एसआई राजेश कुमार-2, कटिहार के इंस्पेक्टर टुनटुन पासवान, एसआई सुनील कुमार और एसआई प्रदीप कुमार, पूर्णिया में पदस्थापित रहे एसआई नवीन कुमार और एसआई मुकेश कुमार शामिल हैं।
इन जिलों के थानेदारों पर भी गाज
अन्य जिलों में भी पदस्थापित रहे कई पदाधिकारियों को शराब मामले में लापरवाही और संलिप्तता के आरोप में 10 साल के लिए थानेदारी से वंचित किया गया है। बेगूसराय जिले के सात पदाधिकारी जिनमें दो इंस्पेक्टर, पटना के सात पदाधिकारी जिनमें चार इंस्पेक्टर, रोहतास के आठ पदाधिकारी जिनमें एक इंस्पेक्टर और तीन जमादार, समस्तीपुर जिले के आठ पदाधिकारी जिनमें सभी दारोगा के अलावा अन्य जिलों और रेल जिलों के भी पदाधिकारियों को इसी कारण से 10 साल के लिए थानेदारी से वंचित किया गया है।