समस्तीपुर सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण तड़प-तड़कर मरीज ने तोड़ा दम, दर्जनों ऑक्सी कंसंट्रेटर मशीन पड़ी है खराब
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समस्तीपुर : सुबे के सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है। लेकिन समस्तीपुर सदर अस्पताल की व्यवस्था दिनों-दिन बदतर होती जा रही है। समस्तीपुर सदर अस्पताल हमेशा सवालों के घेरे में रहता है। हालांकि मिशन-60 के तहत यहां की भवन तो चकाचक कर दी गई है लेकिन यहां ना तो समय से डॉक्टर रहते हैं ना ही पर्याप्त दवा और ना ही कोई खास व्यवस्था।
जिले के सबसे बड़े अस्पताल में समय से ओपीडी में डाॅक्टर नहीं आते है। वहीं इमरजेंसी के लगभग मरीजों को रेफर कर सदर अस्पताल प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ लेता है। जिस कारण यहां की कुव्यवस्था के चलते मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।
समस्तीपुर सदर अस्पताल में यूं तो दर्जनों ऑक्सी कंसंट्रेटर मशीन हैं, लेकिन उनमें से ज्यादा मशीन खराब हैं। नतीजा मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। सदर अस्पताल परिसर में बना ऑक्सीजन प्लांट शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। मंगलवार की दोपहर दलसिंहसराय अनुमंडल अस्पताल से देवभूषण ईश्वर नाम के मरीज को ब्लड और ऑक्सीजन की कमी को लेकर चिकित्सक ने सदर अस्पताल रेफर किया था। जहां सदर अस्पताल के डॉक्टर के द्वारा मरीज को खून चढ़ाया जा रहा था।
इस दौरान सांस में तकलीफ के कारण मरीज को ऑक्सीजन दिया गया। लेकिन कुछ ही समय में एक के बाद एक कई ऑक्सी कंसंट्रेटर मशीन भी खराब हो गए। बाद में मरीज के परिजनों की शिकायत पर अस्पताल प्रबंधन के द्वारा सेंट्रल सप्लाई के जरिए मरीज को दूसरे बेड पर शिफ्ट कर ऑक्सीजन उपलब्ध कराया गया।
परिजनों का आरोप है कि कुछ घंटों के बाद सप्लाई बंद कर दिया गया। जब मरीज की बेचैनी बढ़ने लगी तब वहां मौजूद कर्मियों के द्वारा उसी खराब पड़े ऑक्सीकॉन्सल्टेंटर को लगा दिया गया। जिस कारण ऑक्सीजन के अभाव में मंगलवार की शाम मरीज ने दम तोड़ दिया।
वहीं अस्पताल के चिकित्सक का कहना है कि मरीज को ब्लड की कमी थी। ब्लड बैंक से ब्लड लेकर उसे चढ़ाया जा रहा था, लेकिन ब्लड के रिएक्शन के कारण मरीज की मौत हो गई। वहीं अस्पताल के दूसरे बेड पर एक महिला मरीज को भी सुबह में सांस की तकलीफ हुई थी जिसके बाद परिजनों के द्वारा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन परिजनों का आरोप है कि उन्हें भी ऑक्सीजन मुहैया नहीं कराया जा रहा है, जिस कारण मरीज की परेशानी बढ़ती जा रही है। अब आप सोच सकते हैं कि जिस अस्पताल में पूरे जिले के इतनी बड़ी आबादी का इलाज होता है, उसकी यह हालत है।