समस्तीपुर: जागरूकता और संवाद के माध्यम से धर्मेंद्र लोगों को दे रहे टीबी से लड़ने की ताकत
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समस्तीपुर :- आशा और उम्मीद ही है जिसकी बदौलत कुछ भी बदल सकते हैं। उम्मीद है तो कुछ भी हासिल करना संभव है। कुछ इसी सोच के साथ वरिष्ठ यक्ष्मा पर्यवेक्षक धर्मेंद्र कुमार सेवा का अलख जगा रहे हैं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने में कुमार की कोशिश काबिलेतारीफ है। क्षेत्र में जागरूकता और मरीजों से संवाद कर टीबी के खिलाफ लोगों को लड़ने की ताकत दे रहे हैं। इनके प्रयास का सकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है। क्षेत्र में टीबी के प्रति लोगों की सोच बदलने में उनकी अलग पहचान बनी है।
टीबी मरीजों की सेवा के लिए रहते हैं तत्पर :
धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि उनके लिए न तो समय मायने रखता है और न ही मेहनत। हमेशा वह मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। जितना समय अस्पताल पर देते हैं, उतना ही समय वे क्षेत्र में भी देते हैं। वे क्षेत्र में गृह भ्रमण कर मरीजों को नियमित दवा का सेवन करने के लिए जागरूक करते हैं। टीबी के संभावित मरीज की जांच के लिए उसका सैम्पल कलेक्ट करवाते हैं और टीबी की पुष्टि होने पर उसके उपचार की व्यवस्था भी करते हैं।
इसके साथ ही लोगों को समझाते हैं कि टीबी रोगी के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करें। उसे प्यार और सहयोग दें। लोगों को बताते हैं कि यदि घर व पड़ोस में किसी को भी टीबी के लक्षण दिखें तो सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर आएं। स्वास्थ्य केंद्र पर जांच एवं इलाज निःशुल्क उपलब्ध है। वे समय-समय पर टीबी के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम और अन्य दूसरी गतिविधियों का संचालन करते रहते हैं।
गोदान तक हो चुके टीवी मरीज की बचाई जान :
मोहद्दीननगर प्रखंड के नंदनी गांव के रहने वाले टीवी मरीज अम्मक महतो बताते हैं कि 35 वर्ष पहले मुंह से खून आता था परंतु प्राथमिक उपचार के उपरांत वे ठीक हो गए थे। उसके बाद सितंबर 2021 से उन्हें बुखार एवं खांसी प्रारंभ हो गया, जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। उन्होंने बहुत सारे प्राइवेट अस्पतालों में अपना उपचार करवाया परंतु उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था। सभी जगह से उन्हें निराशा ही हाथ लग रही थी। यहां तक की उन्होंने खाना पीना भी छोड़ दिया था। दिन प्रतिदिन उनकी स्थिति दयनीय होती जा रही थी। घर वाले देखभाल तो कर रहे थे, परंतु सब उनके बचने की उम्मीद को छोड़ चुके थे। जिसके लिए सगे संबंधी भी उनके अंतिम दर्शन को आ रहे थे।
यहां तक की लोगों ने उनके बचने की उम्मीद को नहीं देखते हुए गोदान भी करवा दिया। उसी बीच वरिष्ठ यक्ष्मा पर्यवेक्षक डॉ धर्मेंद्र कुमार टीबी मरीज के फॉलो अप करने हेतु उनके गांव आए और उनको देखा और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के बारे में पूर्णतः भरोसा दिलाया की वह सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में पूर्णतः ठीक हो सकते हैं, परंतु अम्मक महतो के परिवार वाले को संस्था पर तो यकीन नहीं था फिर भी अंतिम समय को मानते हुए उन्हें ऑटो पर लादकर मोहद्दीननगर स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां धर्मेंद्र कुमार ने उनका टीबी संबंधी जांच करवाया जिसमें वे पॉजिटिव आए।
तत्पश्चात सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से उनका टीबी का उपचार प्रारंभ हुआ, जिसके बाद महतो ने दवा का पूर्ण कोर्स लिया और अपने खानपान पर भी विशेष ध्यान दिय। जिसके पश्चात अब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं धर्मेंद्र कुमार उनका नियमित समय पर फॉलोअप करते रहे। सरकार द्वारा मिलने वाली प्रत्येक महीने 500 सहायता राशि भी प्रदान करवाया, अब अम्मक महतो खुशहाल जीवन जी रहे हैं।