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कहां लटकी है चिराग पासवान की वापसी? BJP से 6 लोकसभा सीट नहीं तो 40 सीट लड़ने की तैयारी

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बिहार में बीजेपी के साथ गबठंधन करके एनडीए में वापसी करने के लिए चार नेता चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी तैयार बैठे हैं लेकिन दिल्ली में भाजपा का पहिया धैर्य से घूम रहा है। लेकिन सबकी नजर टिकी है चिराग पासवान पर जिनकी लोक जनशक्ति पार्टी- रामविलास गठन के बाद से एनडीए से अलग है। मोकामा और गोपालगंज विधानसभा उप-चुनाव में भी चिराग की पार्टी ने बीजेपी को सपोर्ट किया। चिराग लगातार बीजेपी के समर्थन में खुलकर बातें करते रहते हैं लेकिन एनडीए में उनकी वापसी की बात रह-रहकर उठती है लेकिन फिर अटक जाती है। आइए समझते हैं कि चिराग की गाड़ी कहां फंस रही है।

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी नेतृत्व की तरफ से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय चिराग पासवान से बातचीत कर रहे हैं। नित्यानंद राय लगातार चिराग के संपर्क में रहते हैं। लेकिन बात आगे नहीं बढ़ रही है तो जरूर कुछ है जो दोनों तरफ अटक रहा है। पशुपति पारस के हाथों लोजपा टूटने के बाद चिराग को छोड़ पार्टी के पांच सांसद रालोजपा बनाकर एनडीए में शामिल हो गए। अकेले रह गए चिराग। चिराग को एनडीए में वापस लाने की कोशिश बीजेपी कर रही है लेकिन उनकी मांगें ऐसी हैं जिसमें बीजेपी को समाधान नजर नहीं आता।

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चिराग पासवान चाहते हैं कि उन्हें 2014 की तरह 7 लोकसभा सीट ना भी मिले तो भी कम से कम 2019 की तरह 6 सीट जरूर मिले। 2014 में जेडीयू गठबंधन से बाहर थी जबकि 2019 में जेडीयू एनडीए के साथ थी। चिराग की बस इतनी ही मांग नहीं है। वो इसके अलावा एक राज्यसभा और दो विधान परिषद की सीट भी चाहते हैं। फिर उनकी चाहत ये भी है कि उनके चाचा पशुपति पारस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट और एनडीए दोनों से बाहर किया जाए। बीजेपी की सारी उलझन चाचा-भतीजा के झगड़े में है। चिराग किसी भी कीमत पर पारस के साथ आने को तैयार नहीं हैं।

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जो संकेत मिल रहे हैं उससे लगता है कि बीजेपी नेतृत्व अब चिराग पासवान को थकाकर बातचीत करने की रणनीति पर चल रहा है जिससे सीटों के बंटवारे के साथ-साथ चिराग की मांग मानने या मना करने में बीजेपी का हाथ ऊपर रहे। गठबंधन का सबसे मुश्किल और जटिल काम सीट का बंटवारा है जिसमें पहले तो सीटों की गिनती पर मामला फंसेगा और फिर आगे किस सीट पर लड़ें और किस सीट को छोड़ें। चिराग पासवान जमुई छोड़कर हाजीपुर लड़ना चाहते हैं जहां से पारस सांसद हैं। जमुई भी वो पार्टी के लिए रखना चाहते हैं।

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लोजपा-रामविलास के बिहार के प्रधान महासचिव और चिराग के करीबी संजय पासवान कहते हैं कि 2020 के बाद से चिराग पासवान की लोकप्रियता बढ़ी है और उनके पास 6 परसेंट से ज्यादा वोटरों का समर्थन है। पासवान कहते हैं कि लोजपा इस समय 40 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है क्योंकि वो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। बीजेपी से गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर सम्मानजनक सीटें मिलीं तो ठीक है नहीं तो हमारी तैयारी बिहार की हर सीट पर चल रही है।

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संजय पासवान ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जब लोजपा अकेले लड़ी तो बिहार की सबसे बड़ी पार्टी जेडीयू को तीसरे नंबर पर ला दिया था। 2024 में भी अगर बिहार में कोई चिराग पासवान को हल्के में लेगा तो उसकी हालत 2020 के जेडीयू वाली हो जाएगी। आरजेडी से गठबंधन के सवाल पर संजय पासवान ने कहा कि हमारे पास संभावना बहुत है क्योंकि हमारे नेता को प्रधानमंत्री नहीं बनना है। पासवान ने कहा कि 2024 के चुनाव में समय है और चिराग पासवान सही समय पर फैसला करेंगे।

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