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कई बार पाला बदल चुके हैं जीतनराम मांझी, नीतीश का साथ छोड़ने के बाद क्या है HAM चीफ की प्लानिंग?

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के मुखिया जीतनराम मांझी ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला ले लिया है। सीएम नीतीश को छोड़कर कहीं नहीं जाने की कसम खाने वाले मांझी, पहली बार ऐसा नहीं कर रहे हैं। वे अपनी 43 साल लंबे राजनीतिक सफर में कई बार पाला बदल चुके हैं। HAM पार्टी बनाने से पहले मांझी जेडीयू, आरजेडी, जनता दल और कांग्रेस में रह चुके हैं। बीजेपी के साथ भी वे चुनाव लड़ चुके हैं।

हालांकि, अब सवाल उठ रहे हैं कि नीतीश का साथ छोड़ने के बाद जीतनराम मांझी की आगे क्या प्लानिंग है। क्या वे आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एनडीए में शामिल होंगे, या फिर गठबंधन से अलग रहकर ही अपनी राजनीति चमकाएंगे। मांझी ने इस बारे में अभी कोई खुलासा तो नहीं किया है लेकिन बिहार के सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं तेज हैं।

जीतनराम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन ने हाल ही में नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद मांझी ने आरोप लगाए कि नीतीश कुमार कि ओर से उनकी पार्टी HAM का जेडीयू में विलय करने पर दबाव बनाया जा रहा था, इसलिए उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि आगे की क्या रणनीति होगी, इस पर वे बाद में निर्णय लेंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए में जा सकते हैं।

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मांझी ने कब-कब पाला बदला?

जीतनराम मांझी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1980 में कांग्रेस से की थी। कांग्रेस ने उन्हें राज्यमंत्री बनाया था। इसके बाद वे जनता दल में आ गए। फिर लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी का गठन किया तो मांझी भी उनके साथ हो लिए। 2005 में उन्होंने नीतीश कुमार का हाथ पकड़ा और जेडीयू में आए। नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ा तो मांझी भी उनके साथ हो लिए। 2014 में नीतीश कुमार ने मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया। एक साल बाद नीतीश से तकरार के बाद मांझी ने इस्तीफा दे दिया और जेडीयू छोड़ दी। उन्होंने अलग पार्टी HAM बनाई और एनडीए में आ गए।

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मांझी ने 2015 का विधानसभा चुनाव एनडीए में रहकर लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाए। नीतीश जब महागठबंधन छोड़ एनडीए में आए, तो मांझी वापस उनके साथ आ गए। मगर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में चले गए। एक साल बाद वापस एनडीए में लौट आए। 2022 में नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ा तो मांझी भी उनके साथ हो लिए। अब वापस वे सीएम का साथ छोड़ रहे हैं।

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एनडीए में जाने पर मांझी को क्या मिलेगा?

मौजूदा सियासी घटनाक्रम से पहले जीतनराम मांझी ने सीट बंटवारे को लेकर भी महागठबंधन के नेताओं पर दबाव बनाया था। कुछ दिनों पहले उन्होंने पांच लोकसभा सीटों पर HAM के उम्मीदवार उतारने की मांग की थी। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव इस पर राजी नहीं थे। दूसरी ओर, अगर मांझी महागठबंधन छोड़कर एनडीए में जाते हैं तो बीजेपी उन्हें 2024 के चुनाव में पांच सीट लड़ने के दे दे, यह भी मुश्किल है। क्योंकि बीजेपी को पशुपति पारस, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी जैसे नेताओं को भी सेट करना होगा।

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बिहार के सियासी गलियारे में चर्चा है कि बिहार के बड़े दलित चेहरे जीतनराम मांझी को अपने खेमे में लेकर बीजेपी उन्हें राज्यपाल बना सकती है। खबर ये भी है कि मांझी की बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ इसी डील पर चर्चा हो रही है। इसके अलावा 2024 के चुनाव में बीजेपी उन्हें एक सीट दे सकती है, जिस पर मांझी के बेटे संतोष सुमन चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, मांझी की बीजेपी के साथ अभी कोई डील फाइनल नहीं हुई है। न ही दोनों तरफ से इस तरह की किसी भी बात की पुष्टि की गई है। जीतनराम मांझी ने 18 जून को HAM की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इसमें वे कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।

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