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बिहार: पुष्पा झुकेगा नहीं साला.. नाम के सॉफ्टवेयर से रेलवे टिकट फ्रॉड, कैफे संचालक गिरफ्तार; 50 लाख से ज्यादा की बुकिंग कर चुका है

बिहार के छपरा में एक कैफे संचालक पुष्पा झुकेगा नहीं साला नाम के सॉफ्टवेयर से ट्रेन और फ्लाइट्स के अवैध ई-टिकट बुक कर रहा था। RPF ने कैफे संचालक को गिरफ्तार किया है। यह दलाल बनकर ट्रेन और फ्लाइट्स के अवैध ई-टिकट ग्राहकों को महंगे दामों में बेचता था। साइबर कैफे संचालक गलत तरीके से अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रेलवे का टिकट बुक करता था।

आरोपी तरैया थाना क्षेत्र की देवड़ी से गिरफ्तार किया गया है। अब तक इस सॉफ्टवेयर से उसने लगभग 50 लाख रुपए के टिकट बुक किए गए हैं। इसकी जानकारी RPF इंस्पेक्टर मुकेश कुमार सिंह ने दी है।

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अवैध तरीके से कर रहा था टिकट बुक

गिरफ्तार साइबर कैफे संचालक की पहचान तरैया थाना क्षेत्र के देवड़ी निवासी रंजन कुमार (28) पिता सुदामा सिंह के रूप में हुई है। पकड़े गए युवक के पास से कंप्यूटर, लैपटॉप, 54 हजार रुपए के टिकट और 14 हजार रुपए कैश बरामद किए गए हैं। फिलहाल आरपीएफ ने केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया है।

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4000 से 5000 में एक टिकट बेचता था

आरोपी साइबर कैफे संचालक के पास से अलग-अलग नंबर से 11 आईडी बरामद हुई है। इससे वह प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर ‘पुष्पा जीएफ झुकेगा नहीं ….’ से लॉगइन कर अवैध तरीके से टिकट की बिक्री करता था। आरोपी पूरे सारण जिले सहित आसपास के जिलों में भी कन्फर्म टिकट और तत्काल टिकट बेच रहा था। 4 से 5 हजार रुपए ज्यादा लेकर टिकट बेचता था।

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प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का कई बार कर चुका है इस्तेमाल

मीडिया से बात करते हुए आरपीएफ प्रभारी मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी पहले भी कई तरह के प्रतिबंध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर चुका है। नेक्सस, ब्रोक पर भी यह टिकट बुक कर लोगों के बीच बेचता था। अभी नए सॉफ्टवेयर पुष्पा जीएफ झुकेगा नहीं …. से अवैध तरीके से लगातार टिकट का बुकिंग कर रहा था।

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वर्चुअल तरीके से सॉफ्टवेयर की खरीद बिक्री करता था

आरोपी रंजन ने बताया कि इंटरनेट के माध्यम से वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल कर सॉफ्टवेयर की खरीद बिक्री करता था। सॉफ्टवेयर बेचने वाले लोगों से वर्चुअल माध्यम से समय-समय पर अलग-अलग आईडी और पासवर्ड मिलता था।

इससे अलग-अलग कई आईडी एक साथ सॉफ्टवेयर में जनरेट की जाती है। उस आईडी से टिकट बुक किया जाता है। पुष्पा जीएफ झुकेगा नहीं …. सॉफ्टवेयर भी वर्चुअल मोड पर खरीदा गया था। बिक्री करने वाले लोगों से वर्चुअल रूप से ही संपर्क हो पाता है।

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टिकट बुकिंग के लिए अवैध सॉफ्टवेयर का क्या मतलब है?

रेल टिकट बुकिंग के दो तरीके हैं। पहला देशभर के रेलवे काउंटरों पर जाकर ऑफलाइन तरीके से या दूसरा IRCTC (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन) की वेबसाइट या मोबाइल एप के द्वारा ऑनलाइन तरीके से। ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए IRCTC की वेबसाइट के ही कई क्लोन वर्जन बना लिए गए हैं। इन्हें ब्लैक डीएस, रियल मैंगो, रेड बुल आदि नामों से जाना जाता है।

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ऐसा ही एक नया सॉफ्टवेयर ‘पुष्पा जीएफ’ है। एक्सपर्ट्स के अनुसार IRCTC की वेबसाइट में कई लूपहोल्स हैं, इनका इस्तेमाल करके ही ये क्लोन वर्जन बनाए जाते हैं।

बुकिंग में लगने वाला वक्त कम करते हैं, कैप्चा बाइपास करते हैं

इन क्लोन वेबसाइट की खासियत है कि ये टिकट बुकिंग में लगने वाले समय को सेकेंड्स से घटाकर माइक्रो सेकेंड तक ले आते हैं। जैसे-साइट पर सभी डिटेल देने के बाद फाइनल बुकिंग के वक्त सिस्टम आम तौर पर 2 से 3 सेकेंड का वक्त लेता है। इन क्लोन साइट्स के द्वारा इस 2-3 सेकेंड को ही आधे से एक सेकेंड तक लाया जा सकता है।

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ये साइट्स ऑटोमैटिक तरीके से बुकिंग फॉर्म में सारी जानकारी फीड करते हैं। इस कारण इनसे एक बार में कई आईडी के द्वारा कई टिकट बुक किए जा सकते हैं। इसका नुकसान उन आम लोगों को उठाना पड़ता है, जो काउंटर से जाकर टिकट बुकिंग कराते हैं या सामान्य तरीके से ऑनलाइन बुकिंग करते हैं।

इसका सबसे बड़ा नुकसान तत्काल टिकट बुक करने वालों को भी होता है। चूंकि इन सॉफटवेयर से की गई बुकिंग माइक्रो सेकेंड में हो जाती है, इसलिए अगर ये टिकट वेटिंग में भी बनते हैं तो पहले कंफर्म होते हैं। क्योंकि इनका PNR नंबर उस PNR से पहले होता है, जो टिकट उसी वक्त काउंटर से बुक किए जाते हैं।

साथ ही ये क्लोन वेबसाइट्स V2-V3 कैप्चा को भी बाइपास करते हैं। कैप्चा का इस्तेमाल यह पता करने के लिए किया जाता है कि टिकट बुकिंग करने वाला वास्तविक इंसान है कि नहीं।

अवैध माने जाते हैं ऐसे टिकट

रेलवे एक्ट के सेक्शन-143 के अनुसार यूजर के वेरिफिकेशन के लिए IRCTC पर टिकट बुकिंग करने में आमतौर पर ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर मांगा जाता है। इन साइट्स से फेक आईडी और फेक नंबर जेनरेट किए जाते हैं, जिन पर वेरिफिकेशन के लिए ओटीपी भेजा जाता है। इसलिए ऐसे टिकट अवैध माने जाते हैं।