जातीय गणना मामले में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की कैविएट, कहा- मेरा पक्ष सुनकर दें कोई फैसला
बिहार में जातीय गणना मामले में बिहार सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की है कि बिना बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना सुप्रीम कोर्ट कोई और आदेश जारी न करे. दरअसल, बीते कल ही पटना हाईकोर्ट में बिहार में जातीय गणना के मामले में बिहार सरकार को राहत देते हुए जातीय गणना जारी रखने का आदेश दिया गया था. जातीय गणना को लेकर कल ही बिहार सरकार को पटना हाई कोर्ट से राहत मिली थी. पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा कराये जा रहे जातिगत सर्वे और आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण पर लगायी रोक को हटा दिया था. इसके साथ ही इस संबंध में दायर सभी याचिका को निरस्त कर दिया. यह फैसला हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थसारथी का खंडपीठ ने दिया था.
जाति गणना कार्य तत्काल आरंभ कराने का निर्देश
इधर, बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने पत्र जारी कर कहा था कि पटना उच्च न्यायालय ने बिहार जाति आधारित गणना, 2022 के खिलाफ दायर सभी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है. ऐसे में सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र संख्या-8527 दिनांक 04.05.2023 के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, पटना के आदेश के आलोक में बिहार जाति आधारित गणना, 2022 को अंतरिम रूप से स्थगित रखने संबंधी आदेश वापस लेते हुए कार्य पुनः तत्काल आरंभ कराने का निर्देश दिया गया है. सरकारी पत्र में कहा गया है कि जातीय गणना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए.
पटना डीएम ने किया सर्वेक्षण
इस बीच पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद जातीय जनगणना आज से पूरे बिहार में फिर से शुरू हो गयी है. पटना के फुलवारीशरीफ स्थित वार्ड 10 में खुद पटना जिलाधिकारी चंद्रशेखर ने इसकी शुरुआत की. पटना डीएम ने बताया कि पटना में कुल कितने लोग है सभी का डाटा उनके पास है. पटना में 13 लाख 69 हजार परिवार है. जिसमें 9 लाख 35 हजार लोगों का सर्वेक्षण किया जा चुका है. अब जो परिवार बच गये हैं उनके यहां टीम पहुंचेगी और जातीय गणना करेगी. एक गणना ब्लॉक में औसतन 700 लोग रखे गये हैं. कुल मिलाकर अभी तक फेज वन में जिसमें संख्या का डिटेल लिया गया था, उसमें कुल 73 लाख की आबादी आ रही थी. परिवारों की संख्या 13 लाख 69 हजार आई थीं. इस पूरी प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए एक सप्ताह का टारगेट रखा गया है.
एक सप्ताह के भीतर कर लिया जाएगा सर्वेक्षण
पटना डीएम ने बताया कि एक सप्ताह के भीतर बचे हुए लोगों का सर्वेक्षण कर लिया जाएगा. आज सभी जगहों पर सर्वेक्षण का कार्य शुरू हो चुका है. यह फिजिकल सर्वे है जो घर-घर जाकर किया जाएगा. इसके बाद इसकी एंट्री पोर्टल में होगी. उसके बाद सुपरवाइजर चेक कर इसे सम्मिट करेंगे. फिर यह चार्ज लेवल ऑफिसर के पास जाएंगा. पटना में कुल 45 चार्ज ऑफिसर हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रखंड विकास पदाधिकारी हैं और शहरी क्षेत्र में नगर निकाय के जो पदाधिकारी हैं, वो नगर क्षेत्र को देख रहे हैं. 12741 जातीय गणना ब्लॉक बनाए गए हैं.
स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य प्रभावित नहीं हो
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि आज से जातीय गणना होने जा रही है जिसमें शिक्षक शामिल होंगे, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य प्रभावित नहीं हो. सभी स्कूलों में शिक्षक रहने चाहिए. सभी जिलों के डीएम को लिखे गये पत्र में केके पाठक ने कहा है कि आज से जातीय जनगणना फिर से शुरू हो गई है. जनगणना कार्य में शिक्षकों को भी लगाया गया है. इसे लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिलाधिकारी को पत्र लिखा है. उसमें यह कहा गया है कि जातीय जनगणना में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि कोइ भी स्कूल पूरी तरह शिक्षक विहीन न हो जाये. शिक्षकों को केवल जातीय जनगणना के कार्य में लगाया जाए अन्य कोई प्रशासनिक कार्य इनसे ना लिया जाए.
18 फरवरी 2019 को लिया गया था फैसला
मालूम हो कि, जातीय गणना नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में माना जाता है. नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास करा चुकी है. इसके बाद बिहार में पहले चरण की जातिगत गणना 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच हुई. वहीं, दूसरे चरण की गणना 15 अप्रैल को शुरू हुई थी, जिसे 15 मई तक संपन्न किया जाना था, लेकिन बीच में हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस पर रोक लगा दी गई थी. लेकिन, अब यह रोक हटा लिया गया है और राज्य में एक बार फिर आज से जातीय गणना का काम शुरू हो चूका है.