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बिहार में ठनका बना आपदा! 15 दिनों में 100 लोगों की मौत, सायरन-मैसेज, ऐप सब हुए फेल

बिहार में वज्रपात भी भयावह आपदा का रूप लेता जा रहा है। बाढ़ की तरह ही इससे होने वाले नुकसान का भी पूर्वानुमान नहीं लग पा रहा है। पिछले तीन माह के आंकड़े इसकी भयावहता को दर्शाते हैं। ठनका से सौ लोगों की जान जुलाई के पंद्रह दिनों में जा चुकी है। मई से 15 जुलाई तक ढाई माह में ही 152 मौतें हुई हैं।

14 अप्रैल को 25 मौतें

इस मौसम में एक दिन में सर्वाधिक 25 मौतें शुक्रवार (14 अप्रैल) को हुईं। मार्च में तीन, अप्रैल में चार, मई में 20 और जून में 32 जान जा चुकी हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो ज्यादातर मौतें दिन में हुई हैं। मरने वाले ज्यादातर खेतिहर मजदूर, किसान या पशु चराने वाले और काम के सिलसिले में घर से बाहर निकले लोग हैं। यही कारण है कि आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी होने वाला अलर्ट भी मददगार साबित नहीं हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि खेतिहर मजदूर, किसान और पशु चराने वाले या तो मोबाइल रखते नहीं या फिर खेत पर उसे देख नहीं पाते। खेत में बारिश से बचने के लिए वे पेड़ का ही सहारा ले लेते हैं। जान के नुकसान का यही प्रमुख कारण है।

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सबसे ज्यादा मौत रोहतास में 

पिछले पांच साल के आंकड़ों को देखें तो सर्वाधिक मौत वाला जिला औरंगाबाद रहा है। हालांकि, इस साल अब तक रोहतास में सबसे ज्यादा 16 मौतें हुई हैं। उसके बाद गया में 11, कैमूर और औरंगाबाद में 9-9 मौतें हुई हैं। पिछले पांच वर्ष में राज्य में ठनका से सबसे ज्यादा मौतें वर्ष 2020 में हुईं, तब 435 लोगों की जान गई थी। एक दिन में सर्वाधिक 95 मौतें भी इसी साल हुई थीं। वर्ष 2021 में 213 और वर्ष 2022 में 392 मौतें हुई थीं।

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सबसे ज्यादा प्रभावित जिले 

जिला मौत
रोहतास 16
गया 11
औरंगाबाद 09
कैमूर 09
मधेपुरा 08

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पिछले छह साल में हुई मौतें 

वर्ष मौतें
2018 139
2019 269
2020 435
2021 213
2022 392
15 जुलाई 2023 तक – 159

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जागरूकता के बाद भी नुकसान कम नहीं

बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकार की ओर से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बाद भी जान का नुकसान कम नहीं हो रहा है। मौसम खराब होते ही संबंधित इलाके के मोबाइल नंबरों पर एसएमएस भेजकर अलर्ट जारी किया जा रहा है। इस सीजन में अब तक 13.8 करोड़ एसएमएस भेजे जा चुके हैं। पटना, गया और औरंगाबाद में सायरन बजाने का भी विशेष फायदा नहीं दिख रहा है।

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यह बरतें सावधानी 

मौसम खराब रहने पर घर से नहीं निकलें
बिजली, टेलीफोन खंभों के नजदीक न जाएं
पेड़ विशेषकर एकाकी पेड़ के नीचे शरण न लें
लोहे की छड़ी वाले छाते का उपयोग न करें
सफर के दौरान अपने वाहन में ही बनें रहें
बिजली चमकने वक्त मोबाइल से बात न करें
बिजली के उपकरणों के संपर्क से दूर रहें

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