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11 साल से हैं विधायक, जानिए कौन हैं रत्नेश सदा जो नीतीश कैबिनेट में लेंगे संतोष मांझी की जगह

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने राज्य मंत्रिमंडल पद से त्यागपत्र देने वाले संतोष सुमन के महागठबंधन से अलग होने पर कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में ही यह साफ कर दिया है कि वे महागठबंधन में अब नहीं हैं।

इधर, मंगलवार को जदयू विधायक रत्नेश सदा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। इस मुलाकात से राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा को बल मिला है।

खास बात यह है कि सदा उसी समुदाय से आते हैं, जिससे संतोष सुमन वास्ता रखते हैं। ऐसे में सदा को मंत्री बनाए जाने से मांझी समुदाय को साधने के प्रयास हो सकता है।

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बहरहाल, ललन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में संतोष मांझी ने यह कहा है कि अब आपके साथ आगे बढ़ना मुश्किल है।

महाबैठक सफल होगी: ललन

ललन सिंह ने इस क्रम में 23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी एकता की महाबैठक के संबंध में कहा कि यह बैठक पूरी तरह से सफल होगी।

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महाबैठक से भाजपा मुक्त भारत का संकल्प आगे बढ़ेगा। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कोई यह नहीं कह सकता कि जीतनराम मांझी को सम्मान नहीं दिया। उन्हें मुख्यमंत्री भी बनाया गया।

नीतीश कुमार ने उन्हें लगातार बढ़ाया। उनके पुत्र को हम लोगों ने एमएलसी बनाया। उन्हें मंत्री बनाया गया। जब वे कह रहे कि अब साथ नहीं चल सकते तो इसका मतलब साफ है कि वे अब महागठबंधन में नहीं हैं।

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मंत्रिमंडल विस्तार का निर्णय मुख्यमंत्री लेंगे: तेजस्वी

मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री का निर्णय होता है। इस प्रसंग पर वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा अब महागठबंधन के साथ नहीं है।

उसके कोटे से मंत्री रहे संतोष सुमन ने खुद असमर्थता जताई है। उनके अलग होने से विपक्षी एकता को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

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संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद जदयू विधायक रत्नेश सदा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भेंट की। रत्नेश उसी समाज से आते हैं, जिस समाज से संतोष सुमन हैं।

इसलिए यह चर्चा तेज है कि उन्हें संतोष की जगह मंत्री बनाया जा सकता है। संभावना यह भी है कि निकट भविष्य में नीतीश कैबिनेट का विस्तार किया जाए।

इसमें जदयू के अलावा राजद और कांग्रेस कोटे से भी मंत्री शामिल किए जाएं।

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