चाचा पारस को झटका देने की तैयारी में भतीजा चिराग, सांसद महबूब अली कैसर की मुलाकात के बाद अटकलें हुईं तेज
बिहार विधानसभा के बीते चुनाव में बीजेपी के हनुमान बनकर उतरे चिराग पासवान की पार्टी और परिवार भले ही बाद में टूट गई हो लेकिन अब एक बार फिर चिराग पासवान अपना कुनबा मजबूत करने की कवायद करते नजर आ रहे हैं. चिराग पासवान समेत उनकी पार्टी के कुल 6 सांसद थे लेकिन जब परिवार में टूट हुई तो चाचा पशुपति कुमार पारस को मिलाकर 5 सांसद अलग हो गए. चिराग पासवान तब बिल्कुल अकेले पड़ गए थे लेकिन अब एक बार फिर से चिराग की तरफ चाचा पारस के खेमे में शामिल सांसद रुख करने लगे हैं.
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के खेमे में शामिल सांसद महबूब अली कैसर ने चिराग पासवान से मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद सियासी गलियारे में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या भतीजे ने चाचा के किले में सेंधमारी शुरू कर दी है? क्या वाकई महबूब अली कैसर की घर वापसी होने जा रही है?
पटना में हुई मुलाकात
लंबे अरसे बाद सांसद महबूब अली कैसर ने चिराग पासवान से मुलाकात की है. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात आज दोपहर तकरीबन 12 बजे चिराग पासवान के पटना आवास पर हुई है. महबूब अली कैसर चिराग से मिलने उनके घर पहुंचे तो साथ में कैसर के बेटे और आरजेडी के विधायक यूसुफ सलाउद्दीन भी मौजूद थे. दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में काफी देर तक बातचीत हुई. इसके बाद यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि क्या वाकई कैसर एक बार फिर से पाला बदलेंगे? क्या चिराग पासवान का साथ छोड़कर जाने वाले सांसद अब एक बार फिर चिराग के साथ आने को तैयार हैं?
पारस को लगेगा झटका?
सांसद महबूब अली कैसर और चिराग पासवान के बीच हुई मुलाकात के बाद सियासी गलियारे में तरह-तरह की चर्चा हो रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या कैसर की घर वापसी हो सकती है. महबूब अली कैसर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और बाद में वह रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए थे. 2014 में वह लोजपा के टिकट पर खगड़िया लोकसभा से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. दूसरी बार 2019 में भी पार्टी ने उन्हें टिकट दिया और वह लोकसभा के सांसद बने, लेकिन रामविलास पासवान के निधन के बाद जब चिराग पासवान के खिलाफ चाचा पशुपति कुमार पारस ने मोर्चा खोला तो कैसर भी उनके साथ हो लिए.
BJP के साथ जाएंगे चिराग
बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में चिराग पासवान ने बीजेपी से अलग होकर किस्मत आजमाई थी. तब लोक जनशक्ति पार्टी ने एनडीए में शामिल नीतीश कुमार के पार्टी जेडीयू के उम्मीदवारों के सामने अपना कैंडिडेट दिया था. जेडीयू जब 43 सीटों पर सिमट गई तो चिराग पासवान को इसके लिए जिम्मेदार माना गया. बाद में चिराग पासवान की पार्टी और परिवार के अंदर टूट हुई तो इसके सूत्रधार नीतीश कुमार ही माने गए. रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान की जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली. लेकिन पारस के केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहते चिराग पासवान एक बार फिर बीजेपी के करीब आने लगे. बिहार में हुए उपचुनाव में चिराग पासवान ने बीजेपी उम्मीदवारों का समर्थन किया.
पत्ते नहीं खोल रहे चिराग
चिराग अभी भी गठबंधन को लेकर पत्ते नहीं खोल रहे लेकिन यह लगभग तय माना जा रहा है कि 2024 में चिराग पासवान बीजेपी के साथ ही जाएंगे. इसकी एक और बड़ी वजह है क्योंकि नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा नहीं हैं. मौजूदा समीकरण को देखते हुए अगर चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ खड़े सांसद चिराग पासवान की तरफ आने लगे तो इसमें कोई खास अचरज भी नहीं दिखता. चिराग पासवान और महबूब अली कैसर की मुलाकात को इस नजरिए से भी देखा जा सकता है, हालांकि, इस मुलाकात को लेकर किसी ने भी अधिकारिक बयान नहीं दिया है.