मिलिए बिहार की पहली महिला कैब ड्राइवर से, बच्चों के लिए सबके ताने सुनकर भी हार नहीं मानी
अपनी मुश्किलों से लड़कर जो लोग आगे बढ़ते हैं वो अपने पीछे चल रही पीढ़ी के लिए एक मिसाल और प्रेरणा बन जाते हैं. बिहार को हमने तमाम नेताओं, आईपीएस/आईएएस और बाहुबलियों के नाम से जाना है लेकिन यहां से किसी महिला का किसी क्षेत्र में पहल करना अन्य महिलाओं के लिए एक हिम्मत की तरह है. बिहार की अर्चना पांडेय ने भी एक नई शुरुआत कर अपने जैसी अन्य महिलाओं को बिहार में सशक्त बनाने का एक नया रास्ता खोला है.
मिलिए बिहार की पहली कैब ड्राइवर से
दरअसल, अर्चना पांडेय बिहार की पहली महिला कैब ड्राइवर बनी हैं. उन्हें बचपन से ही ड्राइविंग का शौक था. अपने इसी शौक को उन्होंने अपने करियर के रूप में चुना और अपने जैसी अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की. अर्चना बिहार की राजधानी पटना के अनीसाबाद की रहनेवाली हैं. बिहार की पहली कैब ड्राइवर बनी अर्चना पांडेय पिछले 2 साल से कैब चला रही हैं. वह कैब ड्राइविंग से ही अपने चार बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं.
नेपाल तक का कर चुकी हैं सफर
खास बात ये है कि अर्चना केवल शहर में ही कैब नहीं चलातीं बल्कि बुकिंग मिलने पर वह बिहार से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अलग-अलग राज्यों के अलावा नेपाल तक का सफर तय करती हैं. अर्चना ने मीडिया से बताया कि उन्होंने कैब ड्राइविंग से पहले प्राइवेट नौकरी की. फिर उन्होंने बिजनेस शुरू किया. हालांकि किसी कारण से उनका बिजनेस कामयाब नहीं हुआ. फिर उन्होंने अचानक सोचा कि क्यों ना अपने बचपन के शौक को ही अपना पेशा बनाया जाए. ऐसे में वह गाड़ी लेकर रोड पर निकल गईं.
2 साल से चला रही हैं कैब
वह 2 साल से कैब चला रही हैं. आज इसी कैब ड्राइविंग के दमपर वह अपने चार बच्चों के साथ-साथ खुद का पालन-पोषण कर रही हैं. अर्चना का कहना है कि उन्हें अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी है. जिसके लिए वह जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं. वह नहीं चाहतीं कि उनके बच्चों को किसी प्रकार की दिक्कत आए. उन्होंने बताया कि वह अपनी कैब लेकर बिहार के साथ-साथ कई अन्य राज्यों समेत नेपाल तक का सफर कर चुकी हैं. उन्हें जहां की बुकिंग मिल जाती है वो वहां जाने के लिए तैयार रहती हैं.
लगभग हर महिला की तरह अर्चना के लिए भी किसी क्षेत्र में पहल करना आसान नहीं रहा. उन्हें समाज से लेकर उनकी कैब में बैठने वाली सवारियों तक के सवालिया नजरों का सामना करना पड़ा. अपने इस अनुभव के बारे में उन्होंने बताया कि उन्हें ड्राइविंग करते देख सवारियां अक्सर चौंक जाती हैं. वहीं बाहरी लोग उन्हें ताने मारते हैं. उनकी पीठ पीछे कई तरह की बातें कही जाती हैं. हालांकि अर्चना को इन बातों से फरक नहीं पड़ता. वह इन्हें नजरअंदाज करके आगे बढ़ रही हैं.
अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं अर्चना
अर्चना के अनुसार उन्हें देख कर अन्य बहुत सी महिलाओं और लड़कियों के मन में भी गाड़ी चलाने की इच्छा जाग रही है. महिलाएं उनके पास आती हैं और उन्हें गाड़ी चलाना सिखाने के लिए कहती हैं. ऐसे में वह अब महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोलने का मन बना रही हैं. अर्चना का कहना है कि भले ही वह बिहार की पहली महिला कैब ड्राइवर हैं लेकिन वह नहीं चाहतीं कि वह आखिरी कैब ड्राइवर बन कर रह जाएं. उनके मुताबिक अन्य महिलाओं को भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए. वह इसके लिए प्रयास करेंगी और अन्य महिलाओं को भी अपने दम पर आगे बढ़ अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार करेंगी.