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समस्तीपुर और बिहार-उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों के कई जिलों में ED की छापेमारी; वीडियो राय के ठिकानों पर पहुंची टीम

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब कारोबारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। ED ने कुल 5 राज्यों में छापेमारी की, जिसमें कार्रवाई बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश शामिल है। जिन ठिकानों पर छापेमारी हुई, वो बिहार के जेल में बंद देश के बड़े शराब कारोबारियों व माफियाओं में शामिल उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले सुनील भारद्वाज, जेल में ही बंद व अरुणाचल प्रदेश कर रहने वाले इसके पार्टनर फुंसो दोरजी करीमी और इन दोनों के सिंडिकेट से जुड़े समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर के रहने वाले वीडियो राय के हैं।

सूत्रों की मानें तो ED को अपनी कार्रवाई के दौरान इन तीनों के खिलाफ बड़े स्तर पर मानी ट्रेल के एविडेंस मिले हैं। एक-दूसरे के बीच करोड़ों रुपए के अवैध ट्रांजेक्शन का भी एविडेंस मिला है। इनके ठिकानों से कैश तो ED टीम के हाथ नहीं लगे। लेकिन, सूत्र बताते हैं कि काफी सारे महत्वपूर्ण कागजात जरूर हाथ लगे हैं। जिन्हें खंगाला जाएगा। शुक्रवार को 5 राज्यों में एक साथ ED की यह कार्रवाई बेहद गुप्त तरीके से रात तक चली। हालांकि, अभी आधिकारिक तौर पर ED की तरफ से बयान आना बाकी है।

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पहले से अटैच है वीडियो राय की संपत्ति

बिहार के ही समस्तीपुर के विभूतिपुर रहने वाले वीडियो राय के खिलाफ ED ने पहले से मामला दर्ज कर रखा है। इनके खिलाफ काफी समय से जांच चल रही है। करीब डेढ़ साल पहले ED ने इनके करोड़ों रुपए की संपत्ति को अटैच कर लिया था। इसके बाद भी इनके ऊपर नजर रखी जा रही थी। ये शराब कारोबारी सुनील भारद्वाज और फुंसो दोरजी करीमी के कंपनियों में बने शराब को अवैध तरीके से मंगवा कर खपा रहा था। शराब से जुड़े किसी भी मामले में ED की तरफ से अब तक की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। सूत्र बताते हैं कि इस मामले में ED ने बिहार पुलिस से काफी सारी जानकारियां ली थी। फिर अंदर ही अंदर छानबीन चल रही थी। इसके बाद अचानक से कार्रवाई कर दी गई।

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25 नवंबर को मद्य निषेद्य इकाई ने किया था गिरफ्तार

बिहार में अवैध तरीके से शराब की सप्लाई करने के मामले में पुलिस की मद्य निषेद्य इकाई की टीम ने गुवाहाटी में पिछले साल 25 नवंबर को छापेमारी की थी। एक होटल से सुनील भारद्वाज और उसके पार्टनर फुंसो दोरजी करीमी को गिरफ्तार किया था। पहले इन्हें पटना लाया गया था। इसके बाद इन्हें औरंगाबाद जेल में रखा गया। फिर पटना के फुलवारी शरीफ जेल में रहे। अब ये दोनों शराब माफिया बेगूसराय के जेल में बन्द हैं। इन दोनों के ऊपर बिहार में कुल 22 FIR दर्ज हैं।

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लॉकडाउन के बावजूद करता रहा शराब की सप्लाई

साल 2016 में राज्य सरकार ने बिहार में शराबबंदी कानून लागू की थी। इसके बाद 2017 से ही शराब माफिया सुनील भारद्वाज एक्टिव हो गया। इसने तकरीबन बिहार के हर जिले में अपना नेटवर्क बनाया। फिर इसी नेटवर्क के जरिए शराब के अवैध कारोबार को बिहार में फैलाया। सूत्र बताते हैं कि ऑन पेपर अरूणाचल की फैक्ट्री से ट्रक पर लोड होकर शराब की खेप निकलती थी दूसरे राज्य के लिए, पर ट्रक बिहार से आगे जाती नहीं थी। यहीं के किसी जिले में अनलोड हो जाती थी। पहले लॉकडाउन के बाद जैसे-जैसे छूट मिली, उतनी तेजी से ये बिहार में एक्टिव हुआ। शराब की सप्लाई तेजी से करता गया।

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कागज पर चलती हैं 6 कंपनियां

सुनील भारद्वाज अलग-अलग नाम की कुल 12 कंपनियों का मालिक है। इसमें से 4 कंपनियों शराब बनाती हैं। जिनका टर्न ओवर 400 करोड़ से अधिक का है। जिसमें काला अम्ब डिस्टलरी एंड वेबरी प्राइवेट लिमिटेड हिमाचल प्रदेश के सोलन में चलती है। जबकि, प्रिस्टिन डिस्टिलर्स, नॉर्थ-ईस्ट वेबरेज और नॉर्थ-ईस्ट लीकर अरूणाचल प्रदेश में चलती है। मद्य-निषेद्य इकाई की टीम जब जांच कर रही थी तो उस दरम्यान एक चौंकाने वाली बात सामने आई थी। खुलासा हुआ कि 12 में से 6 कंपनियां फर्जी तरीके से चल रही हैं। मतलब सिर्फ कागज पर वो रन कर रही थीं। असलियत में उनका कोई अस्तित्व था ही नहीं।

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ट्रस्ट के जरिए ब्लैक मनी होती है व्हाइट

मद्य निषेद्य इकाई की जांच में पहले ही यह बात सामने आ चुकी है कि सुनील भारद्वाज ने दो ट्रस्ट भी बना रखा है। इसमें पहले का नाम दयावती चैरिटेबल ट्रस्ट है। जबकि, दूसरे का नाम श्री बालाजी एजुकेशनल ट्रस्ट है। ये दोनों ही ट्रस्ट नोएडा में रन करती है। सूत्र बताते हैं कि काली कमाई को इन दोनों ट्रस्ट के जरिए ठिकाना लगाया जाता है। ब्लैक मनी को व्हाइट किया जाता है। इसमें शराब के अवैध धंधे के जरिए कमाए गए रुपए भी शामिल हो सकते हैं। इसकी पड़ताल भी चल रही थी। क्योंकि, टीम को ट्रस्ट के जरिए रुपए इधर-उधर करने के भी सबूत मिले थे।

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