बिहार में शूगर-बीपी से लेकर कैंसर व किडनी तक की दवाई मिलेगी मुफ्त, जानें तेजस्वी यादव ने क्या बनायी नयी व्यवस्था
बिहार के सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों को कैंसर, किडनी-मानसिक रोग व डायलिसिस जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं अब निशुल्क मिलेंगी। वहीं, मधुमेह, उच्च रक्तचाप (बीपी), हृदयरोग, दमा, मिर्गी आदि की दवाओं के प्रकार के भी बढ़ाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कई और बीमारियों की भी दवाएं मुफ्त मिलेंगी। नई दवाओं की सूची में मानसिक रोगियों के लिए 144 तरह की दवाएं भी शामिल की गई हैं।
सरकारी अस्पतालों में पहले मात्र 387 तरह की दवाएं मिला करती थीं। बीते दिनों विभागीय अधिकारियों की टेक्निकल कोर कमेटी के सदस्यों ने निशुल्क मिल रही दवाओं पर मंथन किया। समीक्षोपरांत सूची में कुछ नई दवाएं शामिल की गईं तो वैसी दवाएं जिनकी खपत कम है, उसे विलोपित किया गया। इस तरह नई सूची में 224 तरह की और दवाएं शामिल की गई हैं। अब 611 तरह की दवाएं मरीजों को मिलेंगी। दवाओं की संख्या बढ़ाने में स्वास्थ्य विभाग ने इस बात का विशेष ख्याल रखा है कि अधिक मरीजों को उसका लाभ हो। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने इस बाबत संकल्प भी जारी किया है।
महिलाओं व बच्चों की बीमारी से जुड़ी अधिक दवाएं राज्य में शिशु मृत्यु दर व मातृत्व दर अधिक है। इसे कम करने के लिए इस बार विभाग ने इन दोनों से संबंधित दवाओं को अधिक शामिल किया है ताकि इसे राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर किया जाए। बच्चों में जन्मजात होने वाली बीमारियों की दवाओं के अलावा कैंसर, डायलिसिस, किडनी रोग, हीमोफिलिया, थैलीसीमिया आदि बीमारियों की दवाएं नई सूची में शामिल की गई हैं। मिशन क्वालिटी के तहत सदर अस्पतालों में ही 22 तरह की बीमारियों का इलाज होना है। इसलिए यहां ऑर्थोपेडिक सर्जरी की भी दवाएं शामिल की गई हैं। विभाग के वरीय अधिकारी के अनुसार नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसीन (एनईएलएम) के तहत 700 तरह की दवाओं को केंद्र सरकार ने शामिल किया है। इनमें से अब बिहार में 622 तरह की दवाएं निशुल्क मिलेंगी। पूर्व से शामिल मेडिकल उपकरणों को भी सूची में यथावत रखा गया है।
एक नजर में
● 311 तरह की दवाएं राज्य में पहले मिलती थीं
● 611 तरह की दवाएं अब मिला करेगी मरीजों को
● 1.91 लाख मरीज औसतन रोज आते हैं ओपीडी में
● 12.7 फीसदी महिलाएं राज्य की मधुमेह की चपेट में
● 16.2 फीसदी पुरुष मधुमेह की बीमारी की चपेट में
● 18.4 फीसदी पुरुष हैं उच्च रक्तचाप के मरीज
● 15.9 फीसदी महिलाएं हैं बीपी की मरीज
अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति ई-औषधि पोर्टल से
अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति ई-औषधि पोर्टल के माध्यम से की जा रही है। देश में दवाओं की आपूर्ति एवं वितरण निगरानी में बिहार दूसरे पायदान पर है। हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर तथा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दमा, मिर्गी जैसी बीमारियों की दवाएं मिलेंगी। विभाग ने साफ कहा है कि किसी भी परिस्थिति में दवाओं का दुरुपयोग तिथिवाद, नष्ट एवं क्षतिग्रस्त नहीं होने दिया जाए। इसका अनुपालन अस्पताल प्रशासन को करना होगा। परचेज प्राइस प्रेफरेंस के तहत सेंट्रल पीएसयू से भी दवाओं की क्रय किया जा सकेगा।