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बेशकीमती मूर्तियां चुराने वाला इंटरनेशनल गैंग बिहार में सक्रिय, नेपाल के रास्ते तस्करी का खुलासा

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बिहार में भगवान की बेशकीमती मूर्तियां चोरों के निशाने पर हैं। मंदिरों से मूर्तियों की चोरी की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। देवी-देवताओं की बहुमूल्य मूर्तियां चुराने वाला गिरोह राज्यभर में सक्रिय है। हाल के दिनों में मूर्तियों की चोरी ने भक्तों के साथ-साथ प्रशासन की भी नींद उड़ा दी है। तीन माह में ही 28 बहुमूल्य मूर्तियां चोर ले गएं।

चोरी गईं मूर्तियों में कई की कीमत करोड़ों में है। ये सैकड़ों साल पुरानी हैं। इन चोरी हुईं 28 मूर्तियों में केवल एक ही बरामद हो सकी है। मंदिरों में सुरक्षा की विशेष व्यवस्था नहीं रहने और पुलिस प्रशासन की मूर्तियों की बरामदगी के प्रति उदासीनता चोरी की घटनाओं को रोक नहीं पा रही है।

चोरी का ताजा मामला पटना के बिक्रम प्रखंड स्थित दतियाना गांव का है। यहां 25 दिसंबर की रात को डेढ़ सौ साल पुरानी अष्टधातु की बनी भगवान विष्णु की मूर्ति चोरी हो गई। वहीं सीतामढ़ी के के पिपरा विशनपुर गांव स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर से चोरों ने 28 दिसंबर की रात तीन सौ साल पुरानी अष्टधातु की भगवान श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण, लाल जी की दो मूर्ति के अलावा 10 छोटी मूर्तियां चोरी कर ली। कीमत करोड़ों बताई जा रही है।

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समस्तीपुर :

समस्तीपुर के मुस्तफापुर स्थित राम जानकी मंदिर से 22 अक्टूबर की रात अष्टधातु की 4 किग्रा वजनी श्री राम और जानकी की दो मूर्ति चोर ले गए।

दरभंगा :

दरभंगा के हरद्वार गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर से 16 सितंबर की रात चोरों ने दुर्लभ लक्ष्मीनारायण की मूर्ति चोरी कर ली।

मधुबनी :

मधुबनी में बीते 3 महीने में 10 से अधिक मंदिरों से मूर्ति चोरी हुई है।

सारण :

सारण के सोनपुर अनुमंडल के दुधइला परवेजाबाद में 10 सितंबर की रात शिवमंदिर का दरवाजा तोड़ कर चोरों ने बाल गोपाल, राम-सीता-लक्ष्मण समेत लगभग 10 अष्टधातु की मूर्तियां चुरा ली। ये मूर्तियां नवपाषाणयुगीन बताई जाती हैं। चोरी गयी मूर्तियों का बाजार मूल्य करोड़ में आंका जा रहा है।

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पूर्वी चम्पारण :

पूर्वी चम्पारण के पचपकड़ी ओपी क्षेत्र के मलकौनिया मठ से 15 नवंबर की रात चोरों ने 50 हजार रुपये के मां दुर्गा की मूर्ति से सोने का जेवरात चुरा लिए थे। 29 मई 2021 को ढाका थाना के बरेवा गांव में स्थित मठ से राधा कृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई थी। हालांकि चोरों ने मूर्ति को स्वयं मठ में लाकर रख दिया था।

भोजपुर :

भोजपुर में कई बेशकीमती मूर्तियों की चोरी हुई हैं। 28 दिसंबर की रात बड़हरा थाना क्षेत्र के पैगा गांव स्थित काली मंदिर में मंदिर का समान चोरी कर भाग रहे चोर को ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने उसके पास से देवी जी का चांदी का मुकुट, घंटा व पीतल की पूजन सामग्री बरामद की थी।

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पांच सौ साल पुरानी मूर्ति ले गये चोर :

गया के गुरारू थाना क्षेत्र के जगातिवर डीहा पहाड़ी के शिखर पर स्थित बाबा सिद्धनाथ के मंदिर से प्राचीन मूर्ति की चोरी अक्टूबर में हुई थी। काले पत्थर व अष्ठधातु की बेशकीमती मूर्ति 500 वर्ष पुरानी थी। चार फीट ऊंची इस मूर्ति की कीमत लाखों में बतायी जाती है। टिकारी थाने की पुलिस ने भगवान बुद्ध की बेशकीमती मूर्ति सितंबर में बरामद की थी। शीशा के बॉक्स में बंद मूर्ति लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई क्रमश 10, 8 और 14 इंच थी। मूर्ति का वजन छह किलोग्राम था। जहानाबाद में तीन माह में आधा दर्जन मंदिरों में चोरी की घटनाएं हुईं। लेकिन चोर मूर्तियों को ले जाने में नाकाम रहे हैं। भेलावर के इमलिया स्थित ठाकुरबाड़ी से भगवान राम, लक्ष्मण व जानकी की तीन बेशकीमती मूर्तियां चोरी हुई थी। जो भी बाद में बरामद हो गयी थीं।

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करोड़ों की मूर्ति चुराई :

21 दिसंबर को पूर्णिया के बनमनखी के जीवछपुर गांव स्थित राधा कृष्ण ठाकुर बारी मंदिर से 20 किलो के अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई थी। इस मंदिर की स्थापना 1872 में कृत नारायण दास ने की थी। यह मूर्ति करोड़ों की बताई जाती है। फिलहाल पुलिस मूर्ति बरामद नहीं कर सकी है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेची जा रहीं मूर्तियां :

बिहार के ऐतिहासिक मंदिरों से पुरातात्विक महत्व की मूर्तियों की लगातार चोरी हो रही हैं। सिर्फ दर्ज आंकड़ों की बात करें, तो पिछले छह साल 2017 से 2022 तक बिहार की मंदिरों से 364 बेशकीमती मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। इनमें अब तक महज 80 की ही बरामदगी हो पायी है। यानी 264 मूर्तियों का अब तक पता नहीं चल पाया है कि वे कहां हैं या तस्करों ने इन्हें कहां बेच दिया।

चोरी हुई मूर्तियों में अधिकतर अष्टधातु की थीं और अलग-अलग कालखंड से ताल्लुक रखती थीं। चोरी गयीं अधिकतर मूर्तियां नेपाल के रास्ते दूसरे देशों में भेजी जाती हैं। फिर यहां से इनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर इनकी बिक्री की जाती है। अरब देशों के अलावा सिंगापुर, थाईलैंड होते हुए कई यूरोपीय देशों के बाजारों में इनकी महंगी दामों पर नीलामी होती है। नेपाल के अतिरिक्त नार्थ-ईस्ट के रास्ते थाईलैंड व म्यांमार तक भी इसे पहुंचाया जाता है।

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सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं राज्य के मंदिरों व अन्य पौराणिक स्थल पर मूर्तियों की सुरक्षा को लेकर कोई खास इंतजाम नहीं हैं। मंदिरों की सुरक्षा स्थानीय न्यास समिति के अलावा स्थानीय लोगों के अधीन है। सुरक्षा के लिए सरकारी स्तर या निजी स्तर पर गार्ड के इंतजाम हैं।

सीमावर्ती जिलों से हुईं सबसे ज्यादा घटनाएं पौराणिक महत्व वाली इन मूर्तियों की चोरी सबसे ज्यादा किशनगंज, सारण, बेगूसराय, मधुबनी, समस्तीपुर, शिवहर, पूर्णिया, जमुई जिलों से हुई हैं। गया और राजगीर इलाकों से भी कुछ पौराणिक मूर्तियों के गायब होने के मामले सामने आए हैं। चोरी से जुड़े मामले की जांच करने के लिए राज्य स्तर पर आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को 2017 में नोडल एजेंसी बनाया गया था।

पांच साल पहले की तुलना में कम हुए मामले :

वर्ष 2017 की तुलना करें, तो इस तरह की वारदातों में कमी आयी है। वहीं पिछले वर्ष सबसे ज्यादा 22 मूर्तियां बरामद भी की गयी थीं, जो 2017 से अब तक सर्वाधिक है। इस वर्ष अब तक सात मूर्तियां बरामद हुई हैं।

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