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फिर रुका बख्तियारपुर-ताजपुर प्रोजेक्ट, 11 साल पहले शुरू हुआ था निर्माण कार्य

बख्तियारपुर-ताजपुर महासेतु का निर्माण शुरू होने में अभी और देरी होगी। इस महासेतु का निर्माण नवंबर 2011 में शुरू हुआ और बीते साढ़े 3 साल से काम ठप है। इस वर्ष बीते 16 अप्रैल को सीएम द्वारा पुन: कार्यारंभ करने के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ, क्योंकि जिन बैंकों ने महासेतु को बनाने के लिए निर्माण एजेंसी को करोड़ों रुपए दिये वो कोर्ट चले गये। बैंकों के आग्रह को कोर्ट ने स्वीकार करते हुए ऑर्डर दिया है कि महासेतु बन जाने के बाद अब पहले टोल वसूली से मिली राशि बैंकों को देनी होगी, फिर राज्य सरकार अपना पैसा लेगी।

हालांकि इस वर्ष की शुरुआत में बनी आपसी सहमति के मुताबिक महासेतु बन जाने के बाद टोल टैक्स वसूली से मिली राशि अनुपात में बैंकों और राज्य सरकार को एक साथ मिलनी थी। उसके बाद ही निर्माण एजेंसी को अपनी राशि टोल से वसूलनी थी। पीपीपी मोड वाली राज्य की यह पहली परियोजना है जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार के साथ-साथ निर्माण एजेंसी को भी अपनी राशि लगानी है और बन जाने के बाद एजेंसी को टोल से अपनी राशि वसूलनी है।

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नई व्यवस्था के लिए पहले ली जाएगी कैबिनेट की मंजूरी, डेडलाइन भी हो जाएगी जून-जुलाई 2025

अब इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिये प्रस्ताव तैयार हो रहा है जिसकी कैबिनेट से मंजूरी ली जाएगी। बीते अप्रैल में 935 करोड़ अतिरिक्त लोन देकर काम शुरू कराया गया और निर्माण पूरा करने की अवधि दिसंबर 2024 तय की गई। अब जुुन-जुलाई 2025 में ही महासेतु का निर्माण पूरा होने का आसार हैं। महासेतु का निर्माण जब नवंबर 2011 में शुरू हुआ तब इसको पूरी तरह बना देने की अवधि मई 2016 रखी गई थी। पर जमीन अधिग्रहण की समस्या और निर्माण एजेंसी को बाजार से राशि मिलने में परेशानी के कारण इस्टीमेट 300 करोड़ रुपए बढ़ा कर निर्माण अवधि पहले 2018 की गई। काम आगे नहीं बढ़ा तो फिर मार्च 2020 तय की गई। पर 50 फीसदी ही काम हो पाया तो निर्माण एजेंसी नवयुगा और बिहार राज्य पथ विकास निगम में विवाद बढ़ने पर उच्च न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को इसका समाधान महाधिवक्ता के द्वारा आहूत बैठक में निकालने का आदेश दिया गया।

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हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में इस वर्ष की शुरुआत में बिहार राज्य पथ विकास निगम के टर्मिनेटेड कन्सेशन एग्रीमेंट के पुनरुद्धार प्रस्ताव पर कैबिनेट की स्वीकृति ली गई जिसमें 935 करोड़ (वन टाइम फंड इंफ्यूजन यानी लोन) एवं प्राथमिकता निर्धारित तंत्र एवं अन्य शर्तों की स्वीकृति दी गई। इससे महासेतु की कुल लागत 2875 करोड़ हो गई। इसमें जमीन अधिग्रहण समेत अन्य खर्च भी शामिल हैं। सीएम नीतीश कुमार ने फिर से विधिवत पूजन कर एवं नारियल फोड़कर बीते 16 अप्रैल को पुनः कार्यारंभ किया था।

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झारखंड-बंगाल से उत्तर बिहार-नेपाल जाने के लिए सबसे आसान मार्ग

गंगा नदी पर बन रहे इस पुल की लंबाई 5.52 किमी और दोनों तरफ एप्रोच की लंबाई 45.48 किमी है। महासेतु बनने के बाद झारखंड और पश्चिम बंगाल से उत्तर बिहार और नेपाल जाने वाली गाड़ियों के लिए सबसे सुगम मार्ग हो जाएगा। मुख्यमंत्री के इलाके बख्तियारपुर को उत्तर बिहार के समस्तीपुर से जोड़ेगा। गांधी सेतु पर बड़े मालवाहक गाड़ियों का दबाव कम होगा। राजधानी पटना से समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय, मधुबनी समेत उत्तर बिहार के कई जिलों की दूरी 30 से 50 किमी तक कम हो जाएगी।

इनपुट: दैनिक भास्कर

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