मोकामा में पुलिस वाले ने FIR में लिखा- सब भूमिहार हैं, हाई कोर्ट से केस करने का आदेश
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बिहार का मोकामा अक्सर बाहुबली नेता अनंत सिंह की राजनीति, उनके कारनामे अनंत सिंह के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई को लेकर चर्चा में रहा है। एक बार फिर मोकामा सुर्खियों में है। चर्चा के केंद्र में इस बार अनंत सिंह नहीं है बल्कि, पटना हाई कोर्ट का एक ऐसा फैसला है।
हाईकोर्ट ने पुलिस वालों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। इन पर जातिगत दुर्भावना से ग्रसित होकर काम करने का आरोप है। इस मामले में पटना एसएसपी को तत्काल उन पर कार्रवाई करते हुए ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया है। पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद सिंह की एकल पीठ ने आदेश दिया है। संतोष सिंह नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया गया।
याचिका दायर कराने वाले संतोष सिंह ने आरोप लगाया है कि मोकामा टाल के घोसवरी प्रखंड के सौम्यागढ़ में पुलिस ने दुर्भावना से ग्रसित होकर ग्रामीणों पर कार्रवाई की। बताया गया है कि घटना 28 अक्टूबर की है। मोकामा उपचुनाव के दौरान गांव के कई नागरिकों को 107 की नोटिस तामील कराने के दौरान स्थानीय लोगों के साथ पुलिस की बहस हुई। कोलकाता से छठ मनाने के लिए घर आए इंजीनियर दीपक सिंह के साथ पुलिस पदाधिकारी ASI प्रमोद सिंह के साथ बहस हुई।
उसी रात लगभग डेढ़ सौ की संख्या में पुलिस वाले दीपक सिंह के घर में घुस गए और तूफान मचा दिया। पुलिस ने जातिगत विद्वेष से मामूली सी घटना पर बदले की कार्रवाई की। ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई और इंजीनियर दीपक सिंह को छत से नीचे फेंक दिया। कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दीपक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इस कांड का एफआईआर दर्ज करने में पुलिस वालों से बड़ी गलती हो गई।
एएसआई ने इस मामले में 10 नामजद के साथ 30-35 अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। एफआईआर में साफ लिख दिया कि सभी अभियुक्त एक ही जाति भूमिहार बिरादरी के हैं।
वादी संतोष सिंह ने FIR में दर्ज पदाधिकारी के इसी बयान को आधार बनाते हुए पुलिस की मंशा पर सवाल उठाया कि जब अभियुक्त अज्ञात थे तो उनकी जाति के बारे में पुलिस को कैसे जानकारी मिल गई। याचिकाकर्ता के इसी तर्क को आधार बनाते हुए माननीय न्यायालय ने पुलिसवालों पर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है।