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पार्टी, पद और बंगला गंवाया चिराग फिर भी BJP के लिए करेंगे चुनाव प्रचार, जानें क्या है उनकी उम्मीद की लौ…

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बिहार में सियासी बदलाव के बाद नवंबर में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उपचुनाव में अपनी जीत को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. उपचुनाव में जो सबसे बड़ी बात सामने आयी, वो है पार्टी, पद और बंगाला गंवाने के बाद भी लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान बीजेपी के लिए गोपालगंज और मोकामा में चुनाव प्रचार करने की बात कह रहे हैं. उनके इस फैसले के बाद बिहार में इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि सब कुछ होने के बाद भी वो बीजेपी से अलग क्यों नहीं हो पा रहे हैं.

पत्रकारों से बात करते हुए रविवार को चिराग पासवान ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लंबी बातचीत के बाद हमने गोपालगंज और मोकामा में उपचुनाव में प्रचार का फैसला किया है. एनडीए का हिस्सा बनेंगे? इसपर उन्होंने कहा कि फिलहाल इसपर कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी. मैंने फिलहाल उपचुनाव में दोनों सीटों पर चुनाव प्रचार करने का फैसला लिया है. चिराग पासवान के इस बयान के बाद यह तो साफ हो गया है कि उनके बीजेपी से रिश्ते पहले से ज्यादा मधुर हो गए हैं. दोनों की ये दोस्ती बिहार की राजनीति में एक नई पठकथा लिख रही है.

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लेकिन बिहार में अब बदले राजनीतिक समीकरण में सूत्रों का कहना है कि चिराग पासवान के लिए जितनी जरूरत बीजेपी की है, उतनी ही जरूरत बीजेपी को चिराग पासवान की भी है. चिराग पासवान ने बीजेपी से साथ नहीं मिलने के बाद खुद को अपने पिता रामविलास पासवान का सियासी उत्तराधिकारी के तौर पर स्थापित किया है. बिहार में करीब 6 फीसदी पासवान मतदाता हैं जिन्हें एलजेपी का हार्ड कोर वोटर माना जाता है. इसी वोटरों को अपने साथ करने के लिए चिराग की पूछ बीजेपी में बढ़ गई है. तो इधर महागठबंधन की परेशानी बढ़ गई.

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