समस्तीपुर Town

नजर हर खबर पर…

BiharNEWS

क्या नीतीश कुमार ने 2024 की जंग के लिए अपना पहला ‘तीर’ चला दिया है?

IMG 20210427 WA0064 01

व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े 

लोकसभा चुनाव 2024 में अभी भले ही डेढ़ साल का वक्त बाकी हो, लेकिन सियासी एजेंडा सेट किया जाने लगा है. एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन में वापसी करने वाले नीतीश कुमार बिखरे हुए विपक्ष को एकजुट करने में जुटे हैं. नीतीश ने ऐलान किया है कि 2024 के आम चुनाव के बाद केंद्र में गैर-बीजेपी दलों की सरकार बनने पर देश के सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा दिया जाएगा. माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ नीतीश ने अपना पहला सियासी ‘तीर’ चल दिया है?

नीतीश ने स्पेशल स्टेट का चला दांव

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर 2024 में हमें सरकार बनाने का मौका मिला तो हम निश्चित रूप से पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देंगे. मैं सिर्फ बिहार की बात नहीं कर रहा हूं, बल्कि अन्य राज्यों की भी बात कर रहा हूं, जिन्हें विशेष दर्जा मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह और उनकी पार्टी हमेशा से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करती रही है.

नीतीश ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दिनों पटना आए थे, उस वक्त भी उन्होंने बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग की थी, लेकिन पीएम ने ऐसा नहीं किया. अगर बिहार को विशेष दर्जा दिया गया होता तो राज्य का और विकास हुआ होता. नीतीश ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के विकास के लिए हमेशा से प्रयत्नशील रही है. पिछड़े राज्यों को स्पेशल स्टेट के स्टेटस के सवाल पर उन्होंने साफ तौर पर कहा कि दिल्ली की सरकार बदलती है, तो सिर्फ बिहार नहीं, बल्कि सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा क्यों नहीं मिलेगा?

IMG 20220728 WA0089

स्पेशल स्टेट के तीर से कई शिकार

नीतीश कुमार ने विशेष राज्य के दर्जे का ऐलान कर एक तीर से कई राजनीतिक शिकार करने का दांव चला है. एक तरफ उन्होंने बिहार को साधने का दांव चला है तो दूसरी तरफ उन क्षत्रपों को भी सियासी संदेश दिए हैं, जो एनडीए में न रहते हुए भी बीजेपी के साथ खड़े नजर आते हैं. खासकर ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी, जो अपने-अपने राज्य के लिए स्पेशल स्टेट के स्टेटस की मांग उठा चुके हैं.

बता दें कि बिहार, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और गोवा की राज्य सरकारें लंबे समय से केंद्र सरकार से विशेष राज्य के दर्जा दिए जाने की मांग कर रही हैं. नीतीश कुमार बिहार के लिए कई बार यह मांग उठा चुके हैं. 2015 से पहले उन्होंने इस मांग को लेकर दिल्ली में एक बड़ी रैली भी की थी. इसी मांग को लेकर नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी भी पीएम मोदी से कई बार गुहार लगा चुके हैं.

IMG 20220828 WA0028

वहीं, टीडीपी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू ने तो विशेष राज्य के मुद्दे पर ही 2018 में एनडीए से नाता तोड़ लिया था और उनकी पार्टी मोदी सरकार से अलग हो गई थी. इस तरह से नीतीश कुमार ने साफ तौर पर ऐलान किया है कि 2024 में गैर-बीजेपी दलों की देश में सरकार बनती है तो बिहार की नहीं बल्कि सभी पिछड़े राज्यों को स्पेशल स्टेट का दर्जा दिया जाएगा. इस तरह नीतीश ने मोदी के खिलाफ 2024 के लिए अपना पहला दांव चला है.

IMG 20220915 WA0111

विपक्षी एकता के मिशन पर नीतीश

बता दें कि बिहार में सियासी बदलाव के बाद से नीतीश कुमार मिशन-2024 के लिए सियासी ताना-बाना बुन रहे हैं. मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता को अमलीजामा पहनाने के लिए नीतीश ने दिल्ली का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की, ताकि 2024 के आम चुनाव में बीजेपी और पीएम मोदी से मुकाबला करने के लिए विपक्षी मोर्चे को एक साथ जोड़ने की संभावना तलाशी जा सके. इस कड़ी में नीतीश राहुल गांधी से लेकर शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी और ओम प्रकाश चौटाला सहित करीब एक दर्जन विपक्षी नेता से मिले थे.

पटनायक-जगन को साथ लेने का दांव

2024 में मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता की कवायद के बीच कई क्षत्रप ऐसे हैं, जो न कांग्रेस के साथ हैं और न ही बीजेपी खेमे में हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही गठबंधन से दूरी बनाकर बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक, वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी और टीआरएस चीफ केसीआर चलते हैं, लेकिन कई मौके पर मोदी सरकार के साथ खड़े रहे हैं. नीतीश ने स्पेशल स्टेट के स्टेटस का मुद्दा उठाकर नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी जैसे दिग्गज नेताओं को भी साथ जोड़ने का दांव चला है, क्योंकि ये दोनों ही नेता यह मांग उठाते रहे हैं.

Picsart 22 09 15 06 54 45 312

नीतीश कुमार 2024 में मोदी के खिलाफ बिहार जैसी विपक्षी एकता बनाना चाहते हैं, जिसमें बीजेपी को छोड़कर सभी दलों को अपने साथ मिला लिया जाय. इसी फॉर्मूले को देश में उतारना चाहते हैं, इसके लिए वह साफ कह चुके हैं कि आपसी मतभेद को भुलाकर सभी दल एक साथ आएं. वह गैर-बीजेपी सभी दलों को एक साथ लाने के मिशन पर हैं. इसी कड़ी में लेफ्ट पार्टियों से लेकर केजरीवाल तक से वो मिल रहे हैं. उनकी नजर पटनायक और जगन मोहन रेड्डी पर भी है, क्योंकि दोंनो ही दल अपने-अपने राज्य में काफी मजबूत हैं. अगर ये दोनों ही दल नीतीश के साथ आते हैं तो 2024 के चुनाव में मोदी के लिए बड़ा सियासी झटका होगा.

इन राज्यों को मिला है विशेष दर्जा 

मौजूदा वक्त में देश के 11 राज्य ऐसे हैं, जिनको विशेष दर्जा मिला हुआ है. इसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर (अब एक केंद्र शासित प्रदेश), मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड शामिल है. वहीं, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, गोवा और बिहार विशेष राज्य की मांग कर रहे हैं.

IMG 20220915 WA0001

विशेष राज्य के क्या-क्या फायदे

देश में विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि में 90 फीसदी अनुदान और 10 फीसदी रकम बिना ब्याज के कर्ज के तौर पर मिलती है. वहीं, दूसरी श्रेणी के राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा 30 फीसदी राशि अनुदान के रूप में और 70 फीसदी राशि कर्ज के रूप में दी जाती है. इसके अलावा विशेष राज्यों को एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स आदि में भी रियायत मिलती है. केंद्रीय बजट में प्लान्ड खर्च का 30 फीसदी हिस्सा विशेष राज्यों को मिलता है. विशेष राज्यों द्वारा खर्च नहीं हुआ ये पैसा अगले वित्त वर्ष के लिए जारी हो जाता है. यही वजह है कि कई राज्य स्पेशल स्टेटेस की मांग कर रहे हैं.

1 840x760 1

IMG 20211012 WA0017

JPCS3 01

IMG 20220331 WA0074

20201015 075150