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बिहार के गांवों में इस बार लग रही अनोखी सोलर लाइट, बुझते ही पटना कंट्रोल रूम को मिलेगी सूचना

बिहार के गांवों में सोलर लाइट लगाने की योजना नई नहीं है, लेकिन इस बार इसका तरीका जरूर नया है। पिछली बार जब गांवों में सोलर लाइट लगाई गई, तो उसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई। मुखिया ने अपने घर और चहेतों के घर में सोलर लाइटें लगवा दीं। कई जगह ऐसी घटिया सोलर लाइट लगी कि वह 10 दिन भी रोशनी नहीं दे सकी। इस बार ऐसा नहीं होगा।

बैट्री चुराने वाले तुरंत पकड़े जाएंगे 

गांव-गांव लगने वाले सोलर स्ट्रीट लाइट को लेकर तकनीकी व्यवस्था यह की गयी है कि सोलर लाइट की बैट्री अगर चोरी भी हो गयी तो उसका इस्तेमाल संभव नहीं हो सकेगा। चोरी की गयी बैट्री अगर दूसरे जगह  लगती है तो तुरंत ही नियंत्रण कक्ष को लोकेशन के साथ यह मैसेज आएगा कि उसे कहां लगाया गया है।

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बैट्री खोलना इस बार आसान नहीं 

अधिकारियों ने बताया कि आम तौर पर सोलर लाइट के बारे में यह शिकायत रहती है कि बैट्री या फिर पैनल ही खोल लिए जाते हैं। ग्रामीण सोलर लाइट में तकनीकी व्यवस्था यह की गयी है कि बैट्री को लाइट के होल्डर के समीप भीतर ही लगा दिया गया है। इसलिए बैट्री खोलने के लिए पूरे सिस्टम को खोलना होगा।

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हर बैट्री पर होगी यूनिक आइडी 

बैट्री पर तीन डिजिट का यूनिक आईडी लगाया गया है। इस यूनिक आईडी के माध्यम से मुख्यालय स्थित नियंत्रण कक्ष को यह पता चलता है जिस बैट्री से सोलर लाइट जल रही है वह किस जिले, पंचायत व गांव में कहां है। इसलिए उसे खोलकर जहां भी लगाया जाएगा उसकी सूचना नियंत्रण कक्ष को मिल जाएगी।

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तीन दिन में ठीक करनी होगी गड़बड़ी

इसके अतिरिक्त  एक अन्य तकनीकी व्यवस्था यह है कि अगर किसी पोल पर लाइट नहीं जल रही तो तुरंत उसकी सूचना नियंत्रण कक्ष को मिल जााएगी। जिस कंपना के पास संबंधित गांव के सोलर स्ट्रीट लाइट की जिम्मेदारी रहेगी उसे 72 घंटे के अंदर सोलर स्ट्रीट लाइट की गड़बड़ी को ठीक करना होगा।

स्‍ट्रीट लाइट जलने पर ही होगा भुगतान 

दिलचस्प यह है कि संबंधित एजेंसी को भुगतान भी स्ट्रीट लाइट जलने पर ही होगा। स्ट्रीट लाइट का सामान क्रय के लिए 40 प्रतिशत, उसे लगाने पर 30 प्रतिशत तथा शेष 30 प्रतिशत रख रखाव व स्ट्रीट लाइट के काम करने पर मिलना है।

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मुख्‍यालय को हर दो घंटे पर मिलेगा डाटा 

तकनीकी तौर पर यह व्यवस्था है कि हर दो घंटे पर एक-एक स्ट्रीट लाइट का डाटा मुख्यालय स्थित नियंत्रण कक्ष पहुंचेगा। इसके माध्यम से 29 तरह का डाटा आएगा। इससे पता चलेगा कि स्ट्रीट लाइट कब जली, उसका वोल्टेज सही था या नहीं और बैट्री की क्या स्थिति है।  इस तकनीक से ऊर्जा बचत की भी जानकारी मिलेगी।

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