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आज गया में भारत के सबसे बड़े रबड़ डैम का लोकार्पण, अब साल भर उपलब्ध रहेगा पानी, बालू खोदने की जरूरत नहीं

पितृपक्ष में बिहार के गया में फल्‍गु नदी के जल से पिंडदान व तर्पण का खास महत्‍व है, लेकिन यह नदी हजारों साल से धरती के अंदर ही बह रही थी। मान्‍यता है कि माता सीता के श्राप से फल्‍गु नदी का जल धरती के अंदर चला गया था। अब नदी पर बिहार का पहला और देश का सबसे बड़ा रबर डैम तैयार होने के बाद इसमें फिर से पानी आ गया है। आज मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पितृपक्ष मेला के उद्घाटन के साथ इसका लोकार्पण भी करेंगे। मुख्‍यमंत्री के निर्देश पर इसे ‘गया जी डैम’ का नाम दिया गया है।

माता सीता ने गया में किया दशरथ का श्राद्ध

हिंदू धर्म में पूर्वजों के श्राद्ध या पिंडदान का खास महत्व है। बिहार के गया में फल्‍गु नदी के किनारे उसके जल से किए गए श्राद्ध को तो मोक्षदायिनी व स्‍वर्ग का रास्‍ता खोलने वाला माना जाता है। मान्‍यता है कि भगवान श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण वनवास के दौरान दशरथ का श्राद्ध करने गया गए थे।

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स्थल पुराण के अनुसार राजा दशरथ का श्राद्ध उनके छोटे बेटों भरत और शत्रुघ्न ने किया था। अनुश्रुतियों के अनुसार दशरथ के सबसे प्यारे बेटे राम थे, इसलिए उनकी चिता की राख उड़ते-उड़ते गया नदी के पास पहुंची। उस वक्त केवल माता सीता वहां मौजूद थीं। राख ने आकृति बनाकर कुछ कहने की कोशिश की, जिससे माता सीता समझ गईं कि श्राद्ध का समय निकल रहा है और राम-लक्ष्मण सामान लेकर वापस नहीं लौटे हैं। कहते हैं कि परेशान माता सीता ने फल्गु नदी की रेत से पिंड बनाकर पिंडदान कर दिया। इसका साक्षी उन्‍होंने फल्गु नदी, गाय, तुलसी, अक्षय वट और एक ब्राह्मण को बनाया।

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श्रीराम को झूठ बोलने पर सीता ने दिया श्राप

जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण वापस आए और श्राद्ध के बारे में पूछा तो फल्गु नदी ने उनके गुस्से से बचने के लिए झूठ बोल दिया। कहते हैं कि तब माता सीता ने गुस्से में आकर फल्‍गु नदी को श्राप दे दिया। इसी श्राप के कारण यह नदी तब से धरती के अंदर ही बहती आ रही है। इस कारण फल्‍गु को भू-सलिला भी कहा जाता है।

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हजारों साल बाद फल्‍गु नदी में आएगा पानी

मान्‍यता है कि तब से अब तक हजारों साल से फल्‍गु नदी धरती के अंदर बहती आ रही है। यहां पिंडदान व श्राद्ध के खास महत्‍व को देखते हुए दूर-दूर से श्रद्धालु पितृपक्ष में आते हैं। पितृपक्ष के दौरान यहां की 55 पिंडवेदियों पर पूर्वजों का पिंडदान व श्राद्ध किया जाता है। यहां पर्याप्‍त पानी की उपलब्‍धता सुनिश्चित कराने के लिए रबर डैम की परिकल्‍पना की गई, जो अब साकार हो चुकी है। फल्‍गु नदी पर बने रबर डैम से नदी में पानी ही पानी है। अब किसी भी वक्‍त तीन से चार फीट तक पानी उपलब्‍ध रहेगा।

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आज सीएम नीतीश कुमार करेंगे उद्घाटन

पितृपक्ष शुरू होने के एक दिन पहले गुरुवार को मुख्‍यमंत्री पितृपक्ष मेला का उद्घाटन तथा रबर डैम व इसके उपर बने स्‍टील पैदल पुल का लोकार्पण करने जा रहे हैं। रबर डैम के निर्माण के बाद फल्‍गु में पानी आ जाने से पिंडदानियों को पानी की कमी नहीं होगी। स्‍टील पैदल पुल बन जाने से उन्‍हें विष्‍णुपद घाट से सीताकुंड तक जाने में परेशानी भी नहीं झेलनी पड़ेगी।

अब फल्‍गु में नहीं आएगा नाले का पानी

रबर डैम के निर्माण के साथ फल्गु नदी में बहने वाले मनसरवा नाले के पानी को भी नदी के डाउनस्‍ट्रीम में जोड़ा गया है। इससे फल्‍गु का जल घाटों पर शुद्ध रहेगा और पिंडदानी परेशान नहीं होंगे।

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पितृपक्ष में इस बार होगी अधिक भीड़

बीते दो सालों से कोरोनावायरस संक्रमण के कारण लगाए गए लाकडाउन की वजह से गया में पिंडदान व श्राद्ध के लिए पितृपक्ष मेला नहीं लगाया जा सका था। ऐसे में इस साल भीड़ के अधिक होने की भी उम्‍मीद है।

बिहार के पहले रबर डैम की खास बातें

अब बात फल्‍गु पर बने रबर डैम की। यह परंपरागत कंक्रीट डैम के स्थान पर रबर से बना है। यह बिहार का पहला और देश का सबसे बड़ा रबर डैम है। इसका पर्यावरण पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार मंदिर के 300 मीटर निम्न प्रवाह में फल्गु नदी के बाएं तट पर 411 मीटर लंबा, 95.5 मीटर चौड़ा और 03 मीटर उंचा रबर डैम बनाया गया है। इसमें फल्गु नदी के सतही व उप सतही जल प्रवाह को रोक कर जल संग्रह किया गया है।

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