समस्तीपुर सदर अस्पताल में अव्यवस्था चरम पर, OPD में समय पर नहीं पहुंचते डॉक्टर, घंटो लाइन लगाकर खड़े रहते हैं मरीज

समस्तीपुर : सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। सदर अस्पताल की व्यवस्था लगातार सवालों के घेरे में है। कई बार निर्देश और निरीक्षण के बावजूद यहां हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे। दवा, स्ट्रैचर, एंबुलेंस सुविधा की कमी और अब डॉक्टरों की मनमानी ने मरीजों की परेशानी और बढ़ा दी है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा ओपीडी का समय सुबह 9 बजे तय किया गया है, लेकिन मरीजों का कहना है कि डॉक्टर अक्सर निर्धारित समय का पालन नहीं करते।
मंगलवार को भी ओपीडी का गेट तो खुला था, लेकिन डॉक्टर कमरे खाली पड़े थे। करीब 10 बजे तक एक भी डॉक्टर अपने कक्ष में उपलब्ध नहीं थे। दूर-दराज से आए मरीज लाइन में लगे इंतजार करते रहे, लेकिन अस्पताल की ओर से कोई संतोषजनक व्यवस्था नहीं की गई। समान्य ओपीडी से लेकर बच्चा ओपीडी, टीबी ओपीडी, आई ओपीडी सभी खाली पड़ा हुआ था।अस्पताल में इलाज कराने पहुंचीं सरायरंजन की रीना देवी ने बताया कि उन्हें सर्दी-जुखाम की समस्या है। सुबह से लाइन में खड़ी हैं, लेकिन डॉक्टरों का कोई अता-पता नहीं था।

कतार में खड़े-खड़े कुछ मरीज थक भी गये थे, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। कतार में खड़े मरीज कभी व्यवस्था तो कभी सरकार को दोष दे रहे थे। लेकिन कोई भी वरीय अधिकारियों को शिकायत करने की जहमत नहीं उठा रहा था। उन्होंने कहा की, हम लोग दूर-दराज से यहां आते हैं, एक घंटे से लाइन में हैं लेकिन कोई डॉक्टर नहीं है। अगर समय पर डॉक्टर आएंगे ही नहीं तो मरीज कहां जाएंगे, इलाज कराकर वापस गांव भी लौटना होता है। वहीं महिला ओपीडी में भी दर्जन भर से अधिक मरीज अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। कुछ महिला मरीज व उसके परिजन कुर्सी पर बैठे थे जबकि बाकी खड़े होकर डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे। करीब 10 बजे के बाद एक-एककर डॉक्टरों के पहुंचने पर मरीजों ने राहत की सांस ली। इधर डॉक्टरों की इस देरी और मनमानी पर अस्पताल प्रबंधन भी गंभीर नहीं दिखता है। कई बार ऐसी शिकायतें आ चुकी हैं, लेकिन न कोई कार्रवाई होती है और न ही सुधार के कोई ठोस प्रयास।

सरकारी दावों की खुली पोल :
स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के सरकारी दावे, सदर अस्पताल की जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते। अगर शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की यह स्थिति है, तो ग्रामीण क्षेत्रों की परिस्थिति का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं। मरीजों और परिजनों की मांग है कि डॉक्टरों की समयपालन सुनिश्चित हो, ओपीडी व्यवस्था में सुधार किया जाए और अस्पताल प्रशासन लापरवाही पर कठोर कार्रवाई करे। तभी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार संभव हो पाएगा।

मौसमी बीमारियों के मरीज अधिक :
मालूम हो कि मौसम में उतार चढ़ाव से लोग सर्दी, खांसी, बुखार आदि बीमारियों के चपेट में आने लगे हैं। मंगलवार को ओपीडी के जनरल कक्ष में इलाज कराने पहुंचे मरीजों में ज्यादातर सीजनल बीमारियों से पीड़ित पाए गए। ठंड बढ़ने से हड्डी के जोड़ो से पीड़ित मरीज भी इलाज कराने ओपीडी पहुंचे। बीपी, शुगर से पीड़ित मरीजों की परेशानी बढ़ने लगी हैं। कई मरीज लूज मोशन से पीड़ित मरीज भी इलाज कराने ओपीडी पहुंचे। छोटे-छोटे बच्चे भी कोल्ड डायरिया से पीड़ित पाए जा रहे हैं। सद अस्पताल के डीएस डॉ. गिरीश कुमार ने बताया कि मौसम में बदलाव से लोग सीजनल बीमारियों के चपेट में आने लगे हैं। लोगों को गर्म कपड़े पहनना चाहिए। गुनगुना पानी पीना चाहिए। घर के आसपास गंदे पानी जमा न होने दें। साफ सुथरा कपड़े पहनना चाहिए। वहीं ओपीडी में इलाज कराने के लिए पहुंच रहे मरीजों को डाॅक्टर की लेटलफिती से इलाज में परेशानी उठानी पड़ रही हैं। इस सवाल पर उन्होंने कहा की मरीजों की इलाज में किसी प्रकार का कोताही सहन नहीं किया जाएगा। कभी-कभी वार्ड में राउंड के कारण ओपीडी में पहुंचने में देरी हो जाती है।

बयान :
डॉक्टर समय से ही आते हैं। ओपीडी से पहले इंडोर में राउंड लगाने में समय लगता है। जिसके कारण विलंब हो जाता है। बांकी तो समय से आते हैं। मरीजों को कोई असुविधा नहीं हो, इसके लिए हमेशा प्रयास रहता है।
डॉ. गिरीश कुमार, डीएस, सदर अस्पताल समस्तीपुर



