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समस्तीपुर स्थित रामेश्वर जूट मिल को पुनः चालू कराने को लेकर सदर SDO ने दिये निर्देश

समस्तीपुर : सदर अनुमंडल प्रकोष्ठ में मंगलवार को एसडीओ दिलीप कुमार की अध्यक्षता में रामेश्वर जूट मिल को पुनः सुचारु रूप से चालू कराने के उद्देश्य से बैठक आयोजित की गई। बैठक में जूट मिल प्रबंधन के अधिकारियों के साथ मिल के बंद रहने के कारणों पर चर्चा की गई। जूट मिल को दोबारा शुरू करने में आ रही बाधाओं, तकनीकी दिक्कतों, श्रम से संबंधित मुद्दों एवं विभिन्न प्रशासनिक पहलुओं पर क्रमवार विचार-विमर्श किया गया। एसडीओ ने जूट मिल को जल्द से जल्द पुनः चालू कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।

साथ ही उन्होंने सभी संबंधित पक्षों के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग पर जोर देते हुए समस्याओं के त्वरित समाधान की आवश्यकता बतायी। प्रशासन ने भरोसा दिलाया कि जूट मिल के पुनः संचालन के लिए हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा, ताकि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ सकें और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके। बैठक में मिल प्रबंधन से लेकर श्रम एवं तकनीकी विभागों से जुड़े अधिकारी मौजूद रहे।

1 नवंबर से ही बंद है जूट मिल :

बता दें की उत्तर बिहार का इकलौता रामेश्वर जूट मिल 1 नवंबर की सुबह से ही बंद है। जूट मिल बंद होने से श्रमिकों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। एक समय था जब जूट मिल का भोंपू बजता था तो श्रमिकों के परिजनों में खुशी की लहर दौड़ जाती थी। जूट मिल में करीब दर्जन भर से अधिक गांव के लोग काम करते थे। उन श्रमिकों के समक्ष आजकल भुखमरी की नौबत आ गई है। रामेश्वर जूट मिल मुक्तापुर में आसपास के लोगों के अलावा राज्य के कई अन्य जिले के लोग काम करते हैं। इस जूट मिल के भरोसे पूर्णिया, किशनगंज, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, अररिया, सहरसा और कटिहार जिला में पटसन की खेती होती थी। मिल की हालात को देखते हुए ही वहां के किसान अपने पटसन को पश्चिम बंगाल और असम भेज रहे हैं। पहले इस जूट मिल में प्रतिदिन 5 से 6 हजार बेल जूट का उत्पादन प्रतिदिन होता था और अकेले बिहार राज्य खाद्य निगम की मांग ही 60 हजार बेल सालाना की थी। एक बेल में 500 बोरा होता था।

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