विज्ञान में पीएचडी करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या घटी, मिथिला विश्वविद्यालय प्रशासन की चिंता बढ़ी
पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2020 का परिणाम आने के साथ विज्ञान विषय में पढ़ाई करनेवालों की संख्या में कमी आई है। उनमें अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की संख्या काफी घटी है। इसने विश्वविद्यालय प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। 25 विषयों में हुई परीक्षा में कुल 4883 परीक्षार्थी शामिल हुए। 23 जनवरी को जारी परिणाम में मात्र 943 परीक्षार्थी क्वालिफाई हुए हैं। सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी और दिव्यांग छात्रों को बाद में पांच फीसद आरक्षण दिया गया। इससे 95 विद्यार्थियों को लाभ पहुंचा।
लेकिन, विज्ञान के भौतिकी, रसायनशास्त्र और गणित विषय में अल्पसंख्यक विद्यार्थियों में से एक महिला और एक पुरुष परीक्षार्थी ही क्वालिफाई हो सके। भौतिकी विषय में 108 रिक्तियों पर कुल 247 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। इसमें सभी वर्गों से कुल 33 परीक्षार्थी क्वालिफाई हुए। उक्त विषय में 14 अल्पसंख्यक परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी। इसमें से सिर्फ एक पुरुष परीक्षार्थी क्वालिफाई हुए।
इसी तरह रसायन विज्ञान विषय में 227 रिक्तियों के विरुद्ध सभी वर्गों से कुल 288 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। इसमें सभी वर्गों से कुल 266 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इसमें से सभी वर्गों के कुल 15 परीक्षार्थी सफल हुए हैं। वहीं परीक्षा में अल्पसंख्यक समाज के कुल 15 परीक्षार्थियों ने भाग लिए। इसमें एक को भी सफल नहीं मिली।इसी तरह गणित विषय में 44 रिक्तियों पर सभी वर्गों से कुल 87 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। सभी वर्गों से कुल 22 परीक्षार्थी क्वालिफाई हुए हैं।
जबकि अल्पसंख्यक समाज से शामिल कुल 13 परीक्षार्थियों में से एक को ही सफलता मिल सकी। तीनों विषयों को मिलाकर सभी वर्गों से कुल 622 परीक्षार्थियों ने पीएचडी की प्रवेश परीक्षा दी थी। उक्त तीनों विषय मिलाकर अल्पसंख्यक समाज से सिर्फ 40 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। बुद्धिजीवियों की माने तो भौतिकी, रसायनशास्त्र और गणित विषय में पीएचडी करने को लेकर विद्यार्थियों में डर समाप्त करना जरूरी है। इन विषयों से पीएचडी करने के लिए छात्रों में जागरूकता लाने की जरूरत है। तब जाकर इन विषयों से अधिक संख्या में अभ्यर्थी पीएचडी कर देश और समाज का नाम रौशन कर सकेंगे।
इस बारे में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि अल्पसंख्यक समाज के विद्यार्थी अब सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं। विद्यार्थी अपनी रूचि के मुताबिक विषयों का चयन करते हैं। सभी स्वतंत्र हैं कि वो किस विषय से पीएचडी करें।